दक्षिण भारत के तमिलनाडु में छाई सिरमौरी हाटी की नाटी

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आवाज़ ए हिमाचल 

जीडी शर्मा,  राजगढ़

21 मार्च। इन दिनों सिरमौर के हाटी क्षेत्र के लोक कलाकार तमिलनाडु के तंजावुर में आयोजित किए जा रहे 5 दिवसीय राष्ट्रीय लोक एवं जनजातीय नृत्य महोत्सव में जिला सिरमौर के पारंपरिक लोकगीतों व लोक नृत्यों का प्रदर्शन कर रहे हैं। यह जानकारी देते हुये आसरा संस्था के मिडिया प्रभारी ने कहा कि राष्ट्रीय लोक एवं जनजातीय नृत्य महोत्सव का आयोजन संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के दक्षिण क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र के सौजन्य से तमिलनाडु के तंजावुर किया जा रहा है।

 

सिरमौर के आसरा संस्था के कलाकारों द्वारा सिरमौरी नाटी के प्रदर्शन के अंतर्गत संस्था के वरिष्ठ गुरु पद्म श्री विद्यानंद सरैक व जोगेंद्र हाब्बी द्वारा संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सौजन्य से गुरु शिष्य परंपरा के अंतर्गत प्रशिक्षण में कलाकारों से तैयार करवाए गए लोक नृत्य के पारंपरिक अंदाज में हाटी क्षेत्र का ठोडा नृत्य, देव आराधना, रिहाल्टी गी, मुंजरा वह परात नृत्य तथा स्वांगटी गी आदि लोक नृत्यों का प्रदर्शन किया गया। अनेकों राज्यों से आए लोक कलाकारों व तंजावुर के कला रसिकों ने आसरा के कलाकारों की भूरी भूरी प्रशंसा की।

तमिलनाडु के तंजावुर में बने विशाल मंच पर हिमाचल की सिरमौरी नाटी के अलावा केरला का कलरीपायट्टू, कर्नाटक का ढोलू कुनिथा, मध्य प्रदेश का नौरता व गनगौर नृत्य, महाराष्ट्र का लावणी व होली नृत्य, राजस्थान का कालबेलिया, मध्य प्रदेश का गुदूम बाजा, गुजरात का सिद्धि धमाल, आंध्र प्रदेश का थ्पट्टा गुल्लू, तमिलनाडु का काइलामबाम आदि नृत्यों का प्रदर्शन किया गया।

तमिलनाडु के प्रसिद्ध शहर कुम्बाकोनाम के बानी बिलास सभागार में हुए सांस्कृतिक आयोजन में आसरा संस्था के कलाकारों ने सिरमौरी नाटी की कई लोक विधाओं का प्रदर्शन किया। कुम्बाकोनाम में आसरा के कलाकारों की नृत्य भाव भंगिमाओं से दर्शक इतने प्रभावित हुए कि स्वांगटी गी ताल पर सभागार में दर्शक झूमने पर मजबूर हो गए।


आसरा के लोक कलाकारों में लोक नर्तक जोगेंद्र, चमन, अमी चंद, अनिल, सरोज, भानुप्रिया, शिवानी व अनु की नृत्य अदाओं ने सभी दर्शकों का मन मोह लिया। लोक गायक रामलाल व गोपाल हाब्बी और महिला गायक लक्ष्मी व सुनपति की लोक गायकी और मधुर स्वरों ने दर्शकों पर अमिट छाप छोड़ी। संदीप व रमेश की ढोलक की थाप और मुकेश की करनाल व रणसिंगा की धुन व बांसुरी पर कृष्ण लाल की स्वर लहरियों ने पंडाल में बैठे दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।।

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