आवाज़ ए हिमाचल
धर्मशाला, 8 अप्रैल। तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा ने कहा-मैं लगभग 87 वर्ष का हूं। लेकिन एक भविष्यवाणी के अनुसार, मैं अभी भी दस या पंद्रह वर्ष और जीवित रह सकता हूं। मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश करूंगा, लेकिन मैं आप सभी से भी कड़ी मेहनत करने का आग्रह करता हूं।
हमें स्वस्थ रहने और स्वस्थ बच्चों को पालने की जरूरत है जो हमारी संस्कृति और परंपराओं को आगे ले जाने में सक्षम होंगे। यह बात उन्होंने मैक्लोडगंज के मुख्य बौद्ध मंदिर के प्रांगण में 25वें शोटन महोत्सव और मध्य मार्ग दृष्टिकोण सम्मेलन में कही।
इस सम्मेलन में आठ ओपरा ग्रुप के 260 और मध्य मार्ग के 70 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। दलाईलामा ने कहा कि शरणार्थियों के रूप में निर्वासन में आने से अप्रत्याशित अवसरों को जन्म दिया है। संख्या में कम होने के बावजूद, निर्वासित तिब्बती न केवल अपने धर्म और संस्कृति को जीवित रखने में सक्षम रहे हैं, उन्होंने यह भी पाया कि दुनिया भर में बहुत से लोग उस विरासत में रुचि रखते हैं, जिसे उन्होंने संरक्षित किया है।
उन्होंने कहा कि निर्वासन में अलग तिब्बती स्कूलों की स्थापना ने तिब्बती धर्म और संस्कृति के संरक्षण में योगदान दिया है। आज वैज्ञानिक इन परंपराओं को रुचि और सम्मान के साथ मानते हैं। चीनी शत्रुता से तिब्बती ज्ञान की गुणवत्ता को नष्ट नहीं किया जा सकता।