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विक्रम सिंह, धर्मशाला। पर्यटन नगरी मैक्लोडगंज में रविवार को निर्वासित तिब्बतियन वुमन एसोसिएशन की पुन: स्थापना की 39वीं वर्षगांठ पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में नगर निगम धर्मशाला के मेयर ओंकार नैहरिया ने शिरकत की। इस दौरान एसोसिएशन द्वारा कई कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। वर्ष 1959 में, 12 मार्च को जब चीन ने तिब्बत पर आक्रमण किया और परिणामस्वरूप 10 लाख से अधिक तिब्बती लोगों की जान चली गई, ऐसी विकट परिस्थितियों का सामना करते हुए, तीनों प्रांतों से हजारों बहादुर और निडर स्वयंसेवी महिलाएं ल्हासा में एकत्र हुईं, उनका उद्देश्य दमनकारी और अवैध चीनी आक्रमण का विरोध करना था। रिजनल तिब्बतियन वुमन एसोसिएशन की अध्यक्ष तेनजिंग नीमा ने कहा की मैक्लोडगंज में निर्वासित तिब्बतियन वुमन एसोसिएशन ने अपना 39वां स्थापना दिवस मनाया। उन्होंने कहा कि ये अच्छी बात है कि हर जगह पर कोई न कोई एसोसिएशन होती है। पूरे भारत में बहुत सारे महिला संगठन है और पुरुषो के मुकाबले महिलाएं ज्यादा शक्तिशाली होती हैं। उन्होंने कहा कि हम चाइना को ये ही सन्देश देना चाहते है कि हम तिब्बती लोग चाहे पुरुष हो या महिलाएं हम सभी लोग इक्क्ठे हैं और हम लोग एक दूसरे को बहुत समर्थन करते है। उन्होंने कहा कि चाइना चाहे जितनी मर्जी अपनी चाल चल ले, लेकिन हम भी मुकाबला करने के लिए तैयार हूं।
एसोसिएशन की प्रोजेक्ट ऑफिसर तेनजिंग यिंगसेल ने कहा कि एक तरफ हम बहुत खुश हैं और जो हम काम कर रहे है उसका हमें परिणाम अच्छा मिलता है और ये उपलब्धि है हमारे लिए जिसे हम आज ख़ुशी के तौर पर मना रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम ये भी दु:ख जता रहे हैं कि इतने वर्षों के बाद भी चीन से निर्वासित तिब्बती लोग अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं।