आवाज़ ए हिमाचल
अभिषेक मिश्रा बिलासपुर
23 अक्तूबर। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग बिलासपुर द्वारा डीएवी स्कूल बिलासपुर में विश्व आयोडीन अल्पता विकार निवारण दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानाचार्य डीएवी स्कूल बिलासपुर भूपेंद्र सिंह ने की । कार्यक्रम में स्वास्थ्य शिक्षक सदर दीप कुमार ने कहा कि विश्व आयोडीन अल्पता विकार दिवस हर वर्ष 21 अक्टूबर को संपूर्ण विश्व में मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य आयोडीन के पर्याप्त उपयोग के बारे में जागरूकता उत्पन्न करना और आयोडीन की कमी के कारण होने वाले रोगो के वारे में जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में विश्व भर में आयोडीन अल्पता विकार प्रमुख स्वास्थ्य समस्या बन गई है।
आज के इस परिवेश में विश्व की एक तिहाई आबादी को आयोडीन अल्पता विकार से पीड़ित होने का खतरा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार लगभग 50 से 60 देशों में आयोडीन की अल्पता अभी तक मौजूद है। इस स्थिति में लोगों के मध्य आयोडीन की अलपता के परिणाम स्वरूप होने वाले रोगों के बारे में जागरूकता फैलाना आवश्यक हैै।
कार्यक्रम में स्वास्थ्य शिक्षक कमल कुमार शर्मा ने कहा कि आयोडीन संतुलित आहार के महत्वपूर्ण पोषक तत्वों में से एक है। भोजन में सूक्ष्म पोषक तत्वों का महत्वपूर्ण स्थान है।
संतुलित आहार शरीर के विकास, टूट-फूट की मरम्मत करने तथा रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करने का काम करता है। आयोडीन शरीर की वृद्धि और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जन जागरूकता और जन सहयोग से आयोडीन की कमी से होने वाले विकारों से छुटकारा पाना हमारा मुख्य उद्देश्य है । स्वास्थ्य शिक्षक ने कहा कि प्राकृतिक तौर पर 90 प्रतिशत तक आयोडीन की प्राप्ति खाद्य पदार्थों से तथा 10 प्रतिशत पीने के पानी से प्राप्त की जाती है। हर व्यक्ति को पूरे जीवन भर एक चम्मच तथा रोज सुई की नोक के बराबर आयोडीन की जरूरत होती है। गर्भवती व धात्री महिलाओं को 200 माइक्रोग्राम, व्यस्कों को 150,
ग्राम तथा शिशु को 50 माइक्रोग्राम आयोडीन की रोज आवश्यकता होती है। आयोडीन का मुख्य काम थायराइड ग्रंथि में थायरोक्सिन नाम का हार्माेन बनाना होता है जिससे घेंघा रोग नहीं होता है।थायराइड की कमी से कई प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं थायराइड ग्रंथि के बढ़ने से मानसिक बीमारी मंदबुद्धि, मानसिक मंदता, विकास की गड़बड़ी और मस्तिष्क की क्षति ,मृत जन्म और गर्भवती महिलाओं में बार-बार गर्भपात जन्मजात असमानता जैसे कि बहरापन, गूंगा पन, बौनापन, देखने, सुनने और बोलने में कमी आदि जैसे विकार उत्पन्न हो जाते हैं। आयोडीन अल्पता विकार निवारण की दिशा में सरकार ने बहुत सी योजनांए बनाई हैं।
भारत सरकार ने वर्ष 1962 में आयोडीन गलगल्ड नियंत्रण कार्यक्रम आरंभ किया और 1992 में इसका नाम बदलकर राष्ट्रीय आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण कार्यक्रम कर दिया है। कार्यक्रम में बच्चों से स्लोगन व पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन करवाया गया। पोस्टर प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर दिवांशी शर्मा द्वितीय स्थान पर वंशिका तीसरे स्थान पर सूर्यांश रहे। इसी तरह स्लोगन राइटिंग में यशोधरा प्रथम स्थान पर, नंदिनी दूसरे स्थान पर, और आयुष शर्मा तीसरे स्थान पर रहे। सभी प्रतिभागियों को नगद पुरूस्कार राशि वितरित की गई। कार्यक्रम में पाठशाला की अध्यापिका श्रीमती पूजा देवी व अन्य अध्यापक उपस्थित रहे।