आवाज़ ए हिमाचल
13 अगस्त।हिमाचल प्रदेश के दूसरे बड़े अस्पताल टांडा मेडिकल कालेज की लापरवाही ने आज एक जन्मे बच्चे की जान ले ली।आरोप है कि डीलीवरी के दौरान ऑपरेशन करते समय डॉक्टर से बच्चें के माथे पर तेज उपकरण से घाव लग गया,घाव इतना गहरा था कि बच्चे को आठ से 10 टांके लगाने पड़े,जिस कारण उसकी मौत हो गई।परिजन उक्त डॉक्टरों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे है।मामला सामने आने के बाद स्वास्थ विभाग ने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन कर जांच के आदेश दे दिए है।
शाहपुर के हारचक्कियां निवासी नीरज ठाकुर ने आरोप लगाया है कि टांडा असप्तालनके डॉक्टरों ने उनकी पत्नी को पांच अगस्त को डिलीवरी की तिथि दी थी तथा उसी दिन टांडा अस्पताल में उन्हें दाखिल करवा दिया।उन्होंने कहा कि पांच अगस्त को रात्रि 11 बजे उनकी पत्नी को डीलीवरी का दर्द शुरू हो गया।6 अगस्त को 11 बजे मरीज को लेबर रूम ले जाया गया।शाम 4 बजकर 45 मिनट पर डिलीवरी हुई तो बच्चे को मां को दिखाने की बजाए सीधा वेंटिलेटर पर ले जाया गया।उन्होंने जब बच्चे को देखा तो उसके माथे पर बहुत बड़ा घाव तथा तथा लगता खून बह रहा था।डॉक्टर ने जन्मे बच्चे को करीब आठ से 10 स्टिच लगाए,जिस कारण खून बहना बंद हो गया,जिसकी शुक्रवार को मौत हो गई।उन्होंने कहा कि उनके बच्चे की मौत नही हुई है बल्कि उसे मारा गया है।उन्होंने आरोप लगया है कि टांडा में सीनियर डॉक्टरों की बजाए ट्रेनी डॉक्टरों से ऑपरेशन करवाये जा रहे है।उन्होंने सरकार व स्वास्थ्य विभाग से इस पूरे मामले की जांच कर दोषी लोगों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग की है।उन्होंने मुख्यमंत्री सेवा संकल्प में भी यह शिकायत भेजी है।
उधर,टांडा मेडिकल कालेज के मेडिकल अधीक्षक (एमएस) डॉ मोहन लाल का कहना है कि मामला उनके ध्यान में आया है तथा मामले की जांच हेतु तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर उसे अति शीघ्र रिपोर्ट देने को कहा गया है । डॉ मोहन ने कहा कि जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा उसके विरुद्ध सख्त कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।