“जो राजनीतिक दल टैक्सी ऑपरेटरों की समस्याओं को हल करेगा उसी का समर्थन”

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प्रदेश के लगभग 80 हजार टैक्सी ऑपरेटर अपनी समस्याओं को लेकर परेशान

आवाज़ ए हिमाचल 

अभिषेक मिश्रा, बिलासपुर।

22 अप्रैल। हिमाचल प्रदेश के लगभग 80 हजार टैक्सी ऑपरेटर इस समय अपनी समस्याओं को लेकर परेशान हैं। हालांकि, कोरोना काल का टैक्स वर्तमान भाजपा सरकार ने माफ कर दिया है, लेकिन और भी कई समस्याएं हैं जिनके बारे में अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है।

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के साथ मंडी में हुई बैठक में सारी समस्याओं का उल्लेख किया गया था तब हिमाचल के तमाम टैक्सी ऑपरेटरों की तरफ से राम रतन शर्मा ने अगुवाई करते हुए मुख्यमंत्री से सारी समस्याओं का जिक्र किया था। इस समय जो सबसे बड़ी समस्या है वह है परमिट की अवधि की। टैक्सी परमिट की अवधि अलग-अलग सीट कैपेसिटी के हिसाब से 8 साल और 9 साल तय की गई है। इसमें 4 प्लस वन से लेकर 6 प्लस वन तक की अवधि 9 साल है वहीं 6 प्लस वन से लेकर 12 प्लस वन तक की अवधि 8 साल तय की गई है। इतने कम समय में गाड़ी पर लिए गए बैंक के ऋण की किश्तें पूरी कर पाना ऑपरेटरों के लिए जी का जंजाल बन गया है। परमिट की अवधि उपरोक्त है लेकिन गाड़ी की किश्तें 10 साल में पूरी नहीं हो रही हैं। ऐसे में ऑपरेटरों को वाहन चलाना मुश्किल हो गया है। अगर यही अवधि 15 साल हो तो गाड़ी को फ्री करके ऑपरेटर उसे कमाई का साधन बना सकता है।

हिमाचल के तमाम टैक्सी ऑपरेटरों का कहना है कि 10 साल का समय तो बैंक से गाड़ी के ऋण की किश्तें लौटाते ही निकल जाता है। इसके अलावा प्राकृतिक आपदाएं, एक्सीडेंट तथा कोरोना महामारी के चलते पहले ही टैक्सी ऑपरेटरों की कमर टूटी पड़ी है। कोरोना काल के दौरान दो साल तमाम टैक्सियां खड़ी रहीं। उस पर परमिट की अवधि कम हो जाने से इन ऑपरेटरों पर और वज्रपात हुआ है। हालांकि मंडी में जो बैठक मुख्यमंत्री के साथ आयोजित की गई थी उसमें मुख्यमंत्री ने इसे भी पूरा करने का आश्वासन दिया था लेकिन अभी तक कुछ भी नहीं हो पाया है।

इस समय पूरे प्रदेश मेे अंदर ही अंदर टैक्सी ऑपरेटरों में अब यह चर्चा भी होने लगी है कि कांग्रेस ही नहीं भाजपा ने भी सत्तासीन रहते हुए ऑपरेटरों को झूठे आश्वासन ही दिए हैं। चर्चा यह भी है कि जो संगठन या राजनीतिक दल टैक्सी ऑपरेटरों की समस्याओं को हल करेगा आने वाले विधानसभा चुनाव में सभी टैक्सी ऑपरेटर उसी का समर्थन करेंगे।

बाब बड़ोह टेक्सी यूनियन कांगड़ा के प्रधान संजीव शर्मा ने कहा कि निश्चित रूप से कोरोना काल के दौरान उनके वाहन खड़े रहे और दो साल वैसे ही बीत गए। ऐसे में बैंक का कर्जा बहुत बढ़ गया है। अगर परमिट की अवधि बढ़ाई जाती है तो ऑपरेटरों को लाभ होगा।

बिनवा टैक्सी आपरेटर यूनियन पपरोला के प्रधान अमित शर्मा ने बताया कि इस परमिट की अवधि के दौरान बैंक का ऋण ही वापस नहीं हो पाता तो उसके बाद फिर वाहन को निजी रूप से चलाना कैसे संभव होगा क्योंकि ऋण टैक्सी के लिए लिया गया था।

माता मनशा टैक्सी एंड मैक्सी यूनियन धर्मपुर के प्रधान कृष्ण कुमार ने कहा कि लंबे समय से ऑपरेटरों की यह मांग आ रही है कि परमिट अवधि को बढ़ाकर 15 साल किया जाए सरकार को इस पर गौर करना चाहिए।

उना से आल हिमाचल टैक्सी ऑपरेटर और ड्राइवर एसोसिएशन के पदाधिकारी राजेंद्र का कहना था कि दो साल कोरोना आपदा में उनके वाहन खड़े रहे जबकि बैंक का मीटर चलता रहा। वह लगातार घाटे में हैं अभी तक भी उससे उबर नहीं पाए हैं। ऐसे में सरकार को परमिट की अवधि बढ़ा देनी चाहिए

हिम आंचल टैक्सी ऑपरेटर यूनियन मनाली के पूर्व महासचिव अभिलव ठाकुर ने कहा कि जब टैक्सी आपरेटर टैक्स भरने में कोई कोताही नहीं करता और सरकार को एडवांस में टैक्स जमा करवाता है तो सरकार को भी इस वर्ग की समस्या का हल निकालना चाहिए। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से परमिट की अवधि 15 साल होनी चाहिए।

आल हिमाचल टैक्सी ऑपरेटर और ड्राइवर एसोसिएशन के मुख्य सलाहकार राम रतन शर्मा का कहना है कि इस मामले को वह मुख्यमंत्री से मंडी बैठक के दौरान उठा चुके हैं। उन्होंने इस बात का स्वागत किया कि सरकार ने कोरोना काल के दौरान टैक्सों को माफ कर दिया लेकिन यह मांग भी ऑपरेटरों की बड़ी उचित है कि परमिट की अवधि 15 वर्ष होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वह लगातार इस मामले को सरकार के समक्ष रखते रहेंगे और निश्चित रूप से सरकार को यह ऑपरेटरों की मांग पूरी करनी ही होगी। उन्होंने कहा कि कम साधनों के होते हुए भी वह न्यायालय में जाने की भी तैयारी कर रहे हैंं लेकिन उसके लिए सभी आपरेटरों का सहयोग चाहते हैं।

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