आवाज़ ए हिमाचल
ज्वाली। कहते हैं कि अगर मन में कुछ करने का जुनून हो तो सारी कायनात उसमें शिद्दत से जुट जाती है। फिर दूसरे के रहमों कर्म की जरूरत ही नहीं पड़ती। ऐसा ही कुछ हुआ है, जवाली में, जहां ग्रामीणों ने एकता की नई मिसाल पेश कर समाज को नई राह दिखाई है। जानकारी के अनुसार विधानसभा क्षेत्र जवाली के अधीन ग्राम पंचायत कुठेहड़ को भले ही मनरेगा में राष्ट्रीय स्तर पर अवार्ड मिला हो, लेकिन पंचायत के अधीन वार्ड नंबर-दो को पक्का रास्ता न होना, इसकी पोल को खोलता है। ग्राम पंचायत कुठेहड़ के अधीन वार्ड नंबर-दो के करीब 40-45 घरों को जाने के लिए पक्का रास्ता नहीं था। अगर कोई बीमार हो जाता था, तो उसको पालकी में डालकर या कंधे पर उठाकर 500 मीटर तक लाना पड़ता था, तब जाकर एंबुलेंस की सुविधा मिलती थी। पंचायत के पास कई बार गुहार लगाई, लेकिन रास्ता पक्का नहीं हुआ। गांववासियों ने कहा कि पूर्व भाजपा विधायक अर्जुन सिंह से भी पांच साल तक गुहार लगाते रहे, लेकिन रास्ता पक्का नहीं हुआ।
सत्तासीन कांग्रेस सरकार के मंत्री चंद्र कुमार को भी अवगत करवा रहे हैं, लेकिन 6 माह से आश्वासन ही मिल रहे हैं। आखिरकार गांववासियों ने एकजुट होकर रास्ता को पक्का करने का जिम्मा उठाया तथा खुद पैसे एकत्रित कर 500 मीटर लंबे रास्ते को कंकरीट डालकर पक्का कर दिया। अब इस रास्ते से बस भी जा सकती है। गांववासियों के इस जज्बे की हर तरफ प्रशंसा हो रही है। जिस काम को पंचायत नहीं करवा सकी, उस काम को गांववासियों ने खुद ही कर दिखाया है। गांववासी जर्म सिंह ने इस मुहिम की शुरुआत की तथा ईश्वर सिंह, अजय, हरि सिंह, कार्तिक, पंकज, अमन, शान दीन, विपन कुमार, अक्षय के साथ मिलकर इसको अंजाम दिया। अब जब कोई बिमार होगा तो उसे पालकी में उठाकर नहीं ले जाना पड़ेगा। न ही सरकार और पंचायत की मिन्नतें करनी होंगी, क्योंकि ग्रामीणों ने जिस एकता की मिसाल पेश की है, उसके आगे सभी फेल नजर आ रहे हैं।