आवाज़ ए हिमाचल
शिमला। राजधानी शिमला का कृष्णानगर जोशीमठ बन चुका है। यहां ताश के पत्तों की तरह बहुमंजिला भवन जमींदोज हो रहे हैं। कृष्णानगर में नगर निगम का 28 करोड़ की लागत से बनाया गया स्लाटर हाउस भी ध्वस्त हो गया है। आसपास के भवनों सहित 35 से 40 घरों को खाली करवा दिया गया है। यहां लगातार भूस्खलन हो रहा है। लोग अपना सामान पैक कर सुरक्षित स्थानों की आरे निकल रहे हैं। यहां बसे लोगों ने आरोज जड़ा है कि स्लाटर हाउस की वजह से ही उनकेे घर खतरे की जद में आए हैं। उस वक्त सरकार व प्रशासन से यहां स्लाटर हाउस न बनाने की मांग की थी, लेकिन किसी ने भी नहीं सुनी। वर्षों से यहां रह रहे लोगों की आंखों में आंसू हैं कि कैसे वे अपने घरों को छोडक़र जाएं। बता दें कि भारी बरसात के बाद राजधानी शिमला में पहली बार एक साथ कई भवनों पर खतरा बन रहा है। समरहिल और बालूगंज के बीच शिव बावड़ी पर लैंडस्लाइड में अब तक 14 लोगों की मौत, फागली में पेड़ गिरने से पांच लोगों की मौत और कृष्णा नगर में लैंडस्लाइड से अब तक मिले दो शवों के बाद पूरे शहर में लोग डरे हुए हैं। बीते तीन दिन में सोलन, शिमला, सिरमौर और मंडी में 74 लोगों की मौत हो चुकी है। अकेले शिमला में यह आंकड़ा 21 है। सोलन टालैंड स्थित शहरी विकास विभाग के मुख्यालय यूडी भवन को खाली करवाना पड़ा है। इस भवन के पीछे पहाड़ से लैंडस्लाइड आया था।
शहरी विकास विभाग के सचिव ने फिलहाल निदेशालय के कर्मचारियों को कुसुम्पटी में बने नगर निगम के काम्प्लेक्स में शिफ्ट कर दिया है। इसके अलावा जाखू स्थित हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी से नीचे की सडक़ में डेढ़ से दो फुट की दरारें पड़ गई हैं। विकासनगर में भ्राता सदन के पास सडक़ पर काफी बड़ी दरार दिख रही है। इसी तरह की दरार शिमला शहर में कार्ट रोड पर लिफ्ट के पास भी पड़ गई है। आईएसबीटी से टूटीकंडी की सडक़ के बीच में काफी लंबी दरार दिख रही है।