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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने जेईई मेन्स, जेईई एडवांस परीक्षा के लिए 75 प्रतिशत पात्रता मानदंड में छूट देने की याचिका खारिज कर दी है। मामले की सुनवाई सोमवार को न्यायमूर्ति धूलिया जे की एकल खंडपीठ ने की है। न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति विश्वनाथ की पीठ ने कहा की यह मानदंड पहले भी था और वह इस मामले में हस्ताक्षेप के इच्छुक नहीं हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि शिक्षा से जुड़े मामले को विशेषज्ञों पर ही छोड़ देना चाहिए। शीर्ष अदालत चंदन कुमार और अन्य द्वारा आईआईटी में प्रवेश के लिए 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में 75 प्रतिशत अंकों की पात्रता मानदंड के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील ने तर्क दिया कि छात्रों को कोविड-19 महामारी के दौरान छूट दी गई और उन छात्रों के पास अब प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थानों में प्रवेश के लिए परीक्षा पास करने की अधिक संभावनाएं हैं।
जेईई मेन्स और जेईई एडवांस्ड पात्रता मानदंड के अनुसार, आईआईटी, एनआईटी, आईआईआईटी और सीएफटी में प्रवेश के लिए 12वीं बोर्ड परीक्षा में न्यूनतम 75 प्रतिशत होना चाहिए। हालांकि, छात्रों ने पात्रता मानदंड को ये कहते हुए चुनौती दी है कि अगर वह जेईई मेन्स में बेहतर अंक प्राप्त करते हैं और बोर्ड परीक्षा में 75 प्रतिशत अंक प्राप्त नहीं कर पाते हैं, तो उन्हें उचित अवसर से वंचित कर दिया जाएगा।