जुखाला के अध्यापकों ने जीवित की गुरु शिष्य परंपरा,परीक्षा देने आई छात्राओं को अपने घरों दिया आसरा

Spread the love

आवाज़ ए हिमाचल

अभिषेक मिश्रा,बिलासपुर

30 नवंबर।बिलासपुर ज़िला के जुखाला स्थित डाइट प्रिंसिपल के प्रयासों की बदौलत वर्तमान में गुरु शिष्य परंपरा की धुंधली हो रहीं तस्वीर पुनः जीवित हो गई है।प्रचार्य ने स्थानीय अध्यापकों के सहयोग से कोरोना महामारी के बीच डीएलएड की परीक्षाए देने आई अन्य ज़िला की प्रशिक्षु छात्राओं के लिए न केवल रात्रि ठहराब की व्यवस्था की बल्कि उनके लिए निशुल्क भोजन की व्यवस्था कर गुरु शिष्य परंपरा को एक बार फिर जीवित कर नया आयाम स्थापित किया है।

अध्यापकों के इस कार्य की चार तरफ खूब प्रशंसा हो रही है।दरअसल, प्रदेश भर में डीएलएड की परीक्षाए चली हुई है,लेकिन कोरोना के चलते डाईट के होस्टल बंद है। जिसकी वजह से डीएलएड परीक्षण प्राप्त कर रहे प्रशिक्षुओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना उन प्रशिक्षुओं को करना पड़ रहा है,जो दूसरे जिला से प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे है। ऐसी ही समस्या जिला शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान जुखाला के प्रशिक्षुओं के सामने आई।

जिला शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान जुखाला में इस समय प्रदेश भर के छात्र डीएलएड का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे है,जिनमे 52 प्रशिक्षु प्रथम वर्ष तथा 82 प्रशिक्षु द्वितीय वर्ष में प्रशिक्षण ले रहे है। प्रथम वर्ष में 52 प्रशिक्षु में से 15 लड़कियां बाहरी जिला से है,जबकि दूसरे वर्ष में 82 प्रशिक्षु में से 18 लड़कियां दुसरे जिला से है।यह लड़कियां सिरमौर , मंडी , शिमला इत्यादि जिला से सबंध रखती है।उनके रहने का प्रबंध डाईट जुखाला में बने छात्रावास में है,जहां रह कर यह अपना प्रशिक्षण पूरा कर रही थी,परन्तु कोरोना के चलते इन प्रशिक्षुओं की वार्षिक परिक्षाए तो शुरू हो गई पर होस्टल खोलने की अनुमति सरकार की तरफ से नही मिल सकी, जिसके चलते बाहरी जिला की लडकियों को अपनी वार्षिक परीक्षा देने में काफी समस्या पैदा हो गई।

डाईट स्टाफ ने हालांकि इन छात्रों की समस्याओं को समझते हुए विभाग से परीक्षा के समय होस्टल खोलने की अनुमति मांगी,लेकिन उन्हें होस्टल खोलने की अनुमति नही मिली। जिसके बाद इन प्रशिक्षुओं के सामने रात्रि ठहरने की समस्या पैदा हो गई।अहम यह था कि अगर यह परीक्षा एक दो दिन होती तब भी कुछ हो सकता था,लेकिन परीक्षा भी 15 दिन तक चलनी थी।ऐसे में वे न तो घर से परीक्षा देने के लिए रोजाना आ जा सकती थी और न ही उन्हें कोरोना के चलते किराए पर कमरे मिल रहे थे। ऐसे में डाईट के प्रधानाचार्य राकेश पाठक इन छात्राओं की समस्या को समझते हुए इनका सहारा बने। उन्होंने डाईट स्टाफ के साथ बैठक की परन्तु कोई भी समाधान नही निकल सका।

जिसके बाद प्रधानाचार्य ने जुखाला क्षेत्र में कई लोगों से किराए पर मकान देने की बात की,लेकिन कोरोना के चलते किराए पर भी कमरे नही मिल सके।इसके बाद उन्होंने जुखाला क्षेत्र से शिक्षा विभाग में तैनात अध्यापकों के साथ इस समस्या को सांझा किया और उनसे अपील की कि बाहरी जिला से आई इन लडकियों को वे अपने घरों में रहने की व्यवस्था करे,तांकि यह लड़कियां अपनी वार्षिक परीक्षा दे सके। इस सुझाव पर भी कई अध्यापकों ने कोरोना का हवाला देते हुए अपने घरो में रखने से मना किया परन्तु प्रधानाचार्य राकेश पाठक ने भी हार नही मानी और वह लगातार इस क्षेत्र से शिक्षा विभाग में तैनात शिक्षकों से इस विषय में बात करते रहे,जिसके बाद कुछ सकरात्मक परिणाम सामने आए और दो अध्यापको ने इस समस्या को समझते हुए हामी भरी कि वह चार- चार लडकियों की अपने घरो में रहने की और खाने की व्यवस्था कर देगे।

यह सब व्यवस्था वे निशुल्क करेंगे इसके लिए वह किसी तरह का कोई शुल्क नही लेंगे।जिसके बाद डाईट प्रधानाचार्य ने बहारी जिला से आई इन लडकियों की रहने की व्यवस्था की। अब यह लड़कियां इन अध्यापकों के घरों में रह कर अपनी वार्षिक परीक्षा दे रही है।गौरतलब है कि डीएलएड प्रथम वर्ष की परीक्षा 23 नवम्बर से शुरू हुई है, जो 5 दिसम्बर तक चलेगी वहीं द्वितीय वर्ष की वार्षिक परीक्षा 7 दिसम्बर से शुरू होगी और 17 दिसम्बर को समाप्त होगी।डाईट के प्रधानाचार्य ने इन दोनों अध्यापकों का धन्यवाद किया है। जिनकी बजह से आज यह लड़कियां अपनी परीक्षा दे पा रही है।अन्यथा यह लड़कियां वार्षिक परीक्षा नही दे पाती और इनका पूरा साल बर्बाद हो जाता।राकेश पाठक ने बताया कि माकडी गांव से डीपी अमरजीत ठाकुर और मंगरोट गांव से अध्यापक राकेश पाठक के घरों में इन लडकियों की रहने और खाने की निशुल्क व्यवस्था की है।
वहीं बाहरी जिला से आई इन लडकियों ने हमसे बातचीत करते हुए बताया कि जब उन्हें पता चला की वार्षिक परिक्षाए होनी है और होस्टल बंद है तब उनके सामने बहुत बड़ी समस्या पैदा हो गई। उन्होंने डाईट स्टाफ से इस बारे बात की परन्तु कोई सकरात्मक जवाब नही मिल रहा था जिसकी वजह से उन्हें ऐसा लग रहा था कि वह अब वार्षिक परिक्षाए नही दे पाएंगी।परन्तु डाईट जुखाला के प्रधानाचार्य और स्टाफ उनके लिए सहारा बने। जिनकी वजह से आज वह यहाँ पर रह कर अपनी परिक्षाए दे पा रही है। उन्होंने बताया कि पहले उन्हें थोडा डर था कि पता नही कैसे लोग होने जहाँ पर उन्हें रखा जा रहा है परन्तु जब वे वहां गई तब सारा डर दूर हो गया।

उन्होंने बताया की जहाँ वे ठहरी हुई है वहां उन्हें परिवार जैसा माहौल मिल रहा है और रहना खाना सब कुछ निशुल्क है।उन्होंने इन परिवारों और डाईट परिवार का धन्यवाद और आभार व्यक्त किया है जिनकी वजह से आज वह अपनी वार्षिक परिक्षाए दे पा रही है अन्यथा उनका पूरा साल बर्बाद हो जाता। इन लडकियों ने कहा कि स्थानीय लोगों द्वारा की गई इस सहयता को उम्र भर याद रखेगीं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *