जीते तो जश्न हारे तो प्रदर्शन: राम लाल ठाकुर

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आवाज़ ए हिमाचल 

अभिषेक मिश्रा,बिलासपुर
06 मई। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री व विधायक श्री नयना देवी जी राम लाल ठाकुर ने कहा कि भाजपा ने पिछले कल हिमाचल प्रदेश में बंगाल हिंसा को लेकर प्रदर्शन किया उसके क्या मायने थे और वह प्रदर्शन किसके खिलाफ था। उन्होंने बड़ा सवाल खड़ा करते हुए कहा कि केंद्र में भाजपा की सरकार, प्रदेश में भाजपा की सरकार तो यह प्रदर्शन किसके खिलाफ माना जाए। अगर इस प्रदर्शन के सही मायने निकाले जाएं तो क्या यह प्रदर्शन चुनाव आयोग के खिलाफ था या पुलिस के खिलाफ था या फिर पैरा मिलिट्री फोर्स या फिर केंद्र सरकार के खिलाफ था या। फिर अगर बंगाल में भाजपा साम, दाम, दंड, भेद लगाने के बाद भी यदि भाजपा नहीं जीत पाई तो प्रदर्शन?  यदि भाजपा जीत जाती तो जश्न। यह देश मे एक तरह की नई राजनीति का जन्म भाजपा ने दिया है।
अब देश की राजनीति जश्न और प्रदर्शन पर निर्भर हो रही है, तो क्यों न अन्य दल भी इस प्रक्रिया को अपना लें कि जहां चुनाव हुए वहाँ जीतने वाले जश्न मनाएं और हारने वाले प्रदर्शन करें, वैसे जीतने वाले तो हर्षित होते ही थे और हारने वाले प्रदर्शन की जगह आत्म मंथन करते थे, लेकिन हार जीत के  बाद जो हिंसा हो तो उसमें फिर से आरोप और प्रत्यारोप का दौर शुरू किया जाए। देखिए लोकतांत्रिक राजनीति में जीत कानून की रक्षा और विकासात्मक गतिविधियों के लिए होती है और हार का मतलब दोबारा प्रयास करके सत्ता में आने हेतू और तत्कालीन सरकार के ज्यादा कुशल काम करने का जज्बा होता है, लेकिन मई 2014 के बाद से देश मे सता का परिवर्तन होने के बाद से ही बंटवारे की राजनीति, कानून को तहस नहस और स्वायत्त संस्थानों को खत्म करने का काम इस देश मे हुआ है जिसका वह विरोध करते है और लोंगो से अपील करते है कि विरोधाभास की राजनीति में न फंस कर रचनात्मक और सकारात्मक राजनीति से चीजों को आगे बढ़ाया जाए।
उन्होंने कहा कि शायद भाजपा को हर चुनाव जीतना है चाहे वो पंचायत का हो, नगरपालिका का हो, विधानसभा या लोकसभा का हो! किसी भी हाल में चुनाव जीतना ही मोदी और भाजपा का होना है। चुनाव जीतने के लिए मनुष्य होने की तिलांजलि मोदी जी ने पहले ही दे दी थी पर वर्ष 2014 से पहले का मुखोटा कुछ और था और देश का  प्रधानमंत्री बनने के लिए उन्होंने तथाकथित विकास का मुखौटा लगा लिया, वह देश मे महंगाई, बेरोजगारी और भ्र्ष्टाचार का जनक बन चुका है। जिसको कहा जाता था वह अब मौत में बदल कर पूरे देश में तांडव कर रहा है। विकास ने अब अपना नाम कोरोना रख लिया है और जहाँ हर हर का जयकारा लगता था वहां हाहाकार है, लेकिन जिम्मेदारी अब भी किसी की तय नहीं!

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