आवाज़ ए हिमाचल
6 सितम्बर। कोरोना के बीच लोहे, लकड़ी, बांस, मिट्टी और सोने-चांदी की पारंपरिक कारीगरी करने वाले शिल्पकार बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। कुल्लू, बंजार, मनाली सहितअन्य जगह छोटी दुकानें लगाकर सामान बेचकर परिवार का पेट पालने वाले ये शिल्पकार बेरोजगार हो गए हैं। जिसके चलते जिला कुल्लू में 100 शिल्पकारों की दुकानें कोरोना के चलते बंद हो गई हैं।
ये कारीगर लोहे के औजार, लकड़ी से सजावटी वस्तुएं, मिट्टी से बर्तन बनाकर लोगों को बेचते थे। ये शिल्पकार अब मजदूरी करने पर मजबूर हैं। ऐसे कई कारीगर गांवों में मनरेगा के तहत काम कर रहे हैं तो कुछ सेब बगीचों में काम कर परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं। कुछ खेतीबाड़ी करने में जुट गए हैं।
ऐसे हस्तशिल्प बनाने वाले कारीगरों ने दुकानें बंद कर दी हैं। हैरान की बात है कि सरकार ने कोरोना के दौरान हर क्षेत्र के लिए राहत पैकेज देने का एलान किया है दो सालों से ये शिल्पकार सरकार की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं, लेकिन अभी तक इनकी प्रशासन और सरकार ने कोई मदद नहीं की है।