आवाज ए हिमाचल
19 फरवरी।राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी और लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने केंद्रीय रेल राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू की ओर से रेल लाइन को लेकर दिए बयान को भ्रामक और तथ्यात्मक रूप से गलत बताया। मंत्रियों ने कहा कि भानुपल्ली-बिलासपुर रेल लाइन की प्रारंभिक अनुमानित लागत लगभग 3,000 करोड़ थी। इसमें केंद्र सरकार 75 फीसदी धनराशि देने के लिए प्रतिबद्ध है और भूमि अधिग्रहण की अनुमानित लागत 70 करोड़ रुपये आंकी गई है।मंत्रियों ने बताया कि रेल लाइन के निर्माण की कुल लागत अब दोगुनी से ज्यादा 7,000 करोड़ से अधिक हो गई है। इसके अतिरिक्त, भूमि अधिग्रहण की लागत बढ़कर 1,100 करोड़ रुपये हो गई है, जबकि केंद्र सरकार ने इस परियोजना के लिए 70 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि देने से इनकार कर दिया है। इसके कारण भूमि अधिग्रहण पर पूरा खर्च राज्य सरकार की ओर से वहन किया जा रहा है।नेगी और विक्रमादित्य ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि 1 मार्च, 2023 से राज्य सरकार ने हिमाचल प्रदेश में रेलवे विकास परियोजनाओं के लिए रेल विकास निगम लिमिटेड को लगभग 300 करोड़ रुपये योगदान दिया है। यह केंद्रीय रेल राज्य मंत्री द्वारा किए दावों का खंडन करता है, क्योंकि उनके बयान तथ्यों पर आधारित नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि कहा कि रेल मंत्रालय की वेबसाइट वार्षिक पिंक बुक प्रकाशित करती है, जिसमें एक वित्त वर्ष के लिए नियोजित रेलवे निर्माण परियोजनाओं की सूची होती है। हालांकि, नवीनतम पिंक बुक अभी तक अपलोड नहीं की गई है, जिससे यह दावा सत्यापित करना असंभव है कि हिमाचल प्रदेश के लिए 11,806 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। यह राशि कोई विशेष अनुदान नहीं है, बल्कि केवल बजटीय अनुमान है।नेगी ने कहा कि वर्ष 2014 से 2024 के बीच हिमाचल को उत्तराखंड के मुकाबले केंद्र से बहुत कम वित्तीय सहायता मिली है। ऐसी वित्तीय सहायता केंद्र प्रायोजित योजनाओं का हिस्सा है, जो हिमाचल के लोगों पर कोई उपकार नहीं बल्कि उनका संवैधानिक अधिकार है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहकारी संघवाद की बात करते हैं, जबकि विपक्ष के नेता जय राम ठाकुर जैसे अन्य भाजपा नेता संवैधानिक रूप से अनिवार्य वित्तीय सहायता को केंद्र सरकार की ओर से एक उदार संकेत के रूप में पेश करते हैं।