जंतर-मंतर पर पहलवान फिर धरने पर; पुलिस पर FIR दर्ज नहीं करने का आरोप, मांगी CBI जांच

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आवाज़ ए  हिमाचल 

नई दिल्ली। कुश्ती संघ और पहलवानों के बीच एक बार फिर ठन गई है। अढ़ाई महीने पहले बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक ने कुश्ती महासंघ अध्यक्ष ब्रजभूषण पर संगीन आरोप लगाए थे। रविवार को एक बार फिर पहलवानों ने अपने उन्हीं आरोपों को दोहराया है, साथ ही जंतर-मंतर से धरने का ऐलान भी किया है। शाम चार बजे हुइ प्रेस कान्फ्रेंस में विनेश फोगाट, साक्षी और बजरंग पूनिया के साथ बैठ पहलवानों ने कुश्ती फेडरेशन के खिलाफ हुंकार भरी और ऐलान किया कि जब तक न्याय नहीं मिल जाता, वे यहां जंतर-मंतर पर ही रहेंगे। पहलवानों ने कहा कि तीन महीने हो गए और हमें न्याय नहीं मिला, इसलिए हम फिर से विरोध कर रहे हैं। हम न्याय की मांग करते हैं। पहले हमसे कहा जाता था कि एफआईआर कराओ, अब हम एफआईआर कराने जा रहे हैं, तो पुलिस सुन नहीं रही है। पहलवान साक्षी मलिक ने कहा कि हमने दो दिन पहले ही थाने में शिकायत दी थी। मगर अभी हमारी सुनवाई नहीं हुई, न ही एफआईआर दर्ज हुई है। शिकायत देने वालों में एक नाबालिग समेत सात पहलवान शामिल हैं।

अढ़ाई महीने इंतजार करने के बाद हमने फिर से धरना का फैसला लिया है। साक्षी ने कहा कि न ही हमें पता कि कमेटियों ने जांच रिपोर्ट सबमिट की है या नहीं। लोग हमें ही झूठा बताने लगे थे। जांच रिपोर्ट सार्वजनिक होनी चाहिए, मगर अभी इसका कुछ अता पता नहीं है। एक लडक़ी का मामला कितना सेंसिटिव होता है, यह आप सब समझ सकते हैं।

बजरंग पूनिया ने कहा कि हमारा धरना अब तब ही खत्म होगा, जब बृजभूषण सिंह को अरेस्ट किया जाएगा। हमारा सब्र जवाब दे चुका है। जांच के लिए दो कमेटियां बनीं, लेकिन रिजल्ट कुछ नहीं आया। अब इस केस की सीबीआई जांच होनी चाहिए। पहलवान विनेश फोगाट ने कहा कि देश के सर्वश्रेष्ठ खिलाडिय़ों ने ये आरोप लगाए हैं। हम यह शोषण सहन कर रहे हैं। तीन महीनों में कमेटी के किसी सदस्य ने न ही हमारा फोन उठाया, न ही मंत्रालय ने किसी से संपर्क किया। बार-बार कहा जा रहा है कि पहलवानों ने सबूत नहीं दिया है। कोई एक बार बृजभूषण से भी उसकी बेगुनाही के सबूत ले। हम तो कह रहे हैं कि आरोपी का नार्को टेस्ट कराया जाना चाहिए। केस की सीबीआई जांच भी होनी चाहिए। इसके बाद जो भी दोषी होगा, उसको दंड दिया जाना चाहिए। उसमें अगर हम गलत साबित होते हैं, तो हम भी दंड स्वीकार करेंगे। अब हम जंतर-मंतर पर ही खाएंगे, सोएंगे। मगर न्याय लेकर ही उठेंगे। हम कुश्ती के लिए ही लड़ाई लड़ रहे हैं। इसके लिए हम अपनी जान भी दे देंगे। जब हम मरेंगे तो भी जंतर-मंतर पर मरेंगे।

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