8 मार्च। बहुचर्चित 250 करोड़ रुपये से ज्यादा के छात्रवृत्ति घोटाले में धन शोधन के एंगल से जांच में जुटे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस मामले के मुख्य आरोपी व उच्च शिक्षा विभाग के अधीक्षक अरविंद राज्टा के खिलाफ शिकंजा कस दिया है। हाल ही में राज्टा और उसके परिचितों से पूछताछ के बाद अब निदेशालय ने शिमला जिला प्रशासन से उसकी संपत्तियों का ब्यौरा मांग लिया है। इसमें उसके व परिवार के नाम पर दर्ज संपत्तियों की जानकारी मांगी गई है।
सूत्रों का कहना है कि इस जानकारी के मिलने के बाद जांच एजेंसी उन्हें अपनी जांच में धन शोधन कर खड़ी गई संपत्तियों के ब्योरे से मिलाएगी। इसके बाद जो संपत्तियां काले धन का निवेश कर खरीदी गई होंगी, उन्हें जब्त करने की कार्रवाई शुरू होगी। जयराम सरकार के निर्देश पर इस घोटाले की जांच कर रही केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की टीम ने राज्टा व उसके कई करीबियों के खिलाफ छात्रवृत्ति वितरण के नाम पर सरकारी धन हड़पने से जुड़े कई सबूत जुटा लिए हैं। मामले में दाखिल चार्जशीट में राज्टा को आरोपी भी बना लिया गया है। माना जा रहा है कि उसके बाद पत्नी व करीबी रिश्तेदारों को भी आरोपी बनाया जा सकता है।
क्या है मामला
प्रदेश सरकार के जनजातीय विकास मंत्री डॉ. रामलाल मारकंडा ने शिकायत की थी कि छात्रवृत्ति वितरण के नाम पर बड़ा घोटाला हुआ है। मंत्री की शिकायत पर विभागीय जांच हुई तो बड़े घोटाले के सुराग मिले। इसके बाद मुख्यमंत्री ने पहले पुलिस को इसकी जांच के निर्देश दिए। लेकिन कई राज्यों तक इसके तार फैले होने की वजह से सरकार ने जांच सीबीआई को स्थानांतरित कर दी। तब से सीबीआई इस मामले में अलग-अलग टीमें लगाकर जांच में जुटी है।