आवाज़ ए हिमाचल
30 जनवरी।नई पेंशन स्कीम महासंघ कांगड़ा जिला के प्रधान ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की सत्ता में बापसी चेहरे बदलने से नहीं,बल्कि एक लाख 22 हजार कर्मचारियों की मांग पुरानी पेंशन के प्रति सोच बदलने से होगी। जिला प्रधान ने सरकार की पेंशन बहाली की मंशा पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहा कि प्रदेश सरकार ओल्ड पेंशन के मामले को लटका रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार को पुरानी पेंशन बहाली के लिए कमेटी फ्रेम करने की अधिसूचना निकाले आगामी 10 फरबरी को दो माह हो जाएंगे।परन्तु दूर -दूर तक कमेटी के सदस्यों का नाम निशान तक नही है।जिला प्रधान ने कहा 11 दिसंबर को 30 हजार कर्मचारी प्रदेश के अलग अलग हिस्सों से तपोवन में ओल्ड पेंशन की बहाली हेतु आए थे और मुख्यमंत्री की कमेटी फ्रेम करने की अधिसूचना से यह उम्मीद लगाएं घर बापस गए थे कि सरकार इस मुद्दे पर अब गंभीरता से विचार करेगी।
परन्तु अब उनके मन में आक्रोश बढ़ने लगा है,जिसका खामियाजा प्रदेश सरकार को भुगतना पड़ेगा। जिला प्रधान ने कहा कि मुख्यमंत्री ने जेसीसी बैठक में एनपीएस सेवा के दौरान दिवंगत कर्मचारियों के परिवारों को पेंशन देने की घोषणा केंद्र की 2009 की अधिसूचना अनुसार की थी, परंतु कई माह बीत जाने के बाद भी आज वे घोषणा मात्र घोषणा ही है, इससे पता लगता है कि सरकार इस मुद्दे पर कितनी गंभीर है।
उन्होंने कहा कि जो सरकार मरने वाली पेंशन, कर्मचारियों के परिवारों को नही दे पाए वे जीने वाली पेंशन क्या दे पाएंगे। यह बात अब कर्मचारियों के मन में बैठ गई है।जिला प्रधान ने कहा कि संगठन ने हार नहीं मानी है और आगामी बजट सत्र में विधानसभा के बाहर डेरा डालने का मन बना लिया है।
हिमाचल के एक लाख कर्मचारी अब शिमला बजट सत्र के दौरान आएंगे और बिना पेंशन बहाली बापस घर नही जाएंगे। जिला प्रधान ने कहा कि सरकार के पास अभी भी समय है,वे विधानसभा चुनाव में चेहरे बदलने से बेहतर है पुरानी पेंशन बहाली हेतु अपनी सोच बदले,नही तो सत्ता में बापसी नामुमकिन है।