चुनावी विश्लेषण: नादौन विधानसभा क्षेत्र में हमेशा हावी रहा है जातीय समीकरण

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आवाज़ ए हिमाचल 

 बबलू गोस्वामी, नादौन। नादौन विधानसभा क्षेत्र में विधानसभा के चुनावों में हमेशा जातीय समीकरण हावी रहा है, जहाँ इस विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं में सामान्य वर्ग के मतदाताओं की संख्या ज्यादा है और दूसरे नंबर पर ओबीसी वर्ग के मतदाता आते हैं एवं तीसरे नंबर पर एससी वर्ग के मतदाताओं की संख्या है, लेकिन ये कहना भी गलत नहीं होगा इस विधानसभा क्षेत्र में विधानसभा चुनावों में ओबीसी वर्ग ने हमेशा अहम भूमिका निभाते हुए चुनावी नतीजों में हमेशा चौकाने वाले नतीजे ही दिए हैं, लेकिन इस बात को भी नहीं  झुठलाया जा सकता है कि स्वर्गीय नारायण चंद पराशर के बाद जब भी ओबीसी वर्ग से कोई उम्मीदबार चुनावी दंगल में उतरा हैं तो जीत का सेहरा हमेशा कॉग्रेस प्रत्याशी के सिर पे बंधा है।

इन तथ्यों का प्रत्यक्ष प्रमाण 2003 ओर 2007 के विधानसभा चुनावों के नतीजें हैं जिसमें वर्तमान विधायक सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने 2003 में 14379 वोट लेकर निर्दलीय चुनाव लड़ने बाले ओबीसी वर्ग के प्रत्याशी प्रभात चौधरी को 4585 मतों से हरा कर विजय का परचम लहराया था।  यही नहीं 2007 में प्रभात चौधरी के दोबारा फिर बहुजन समाज पार्टी की ओर से दोबारा फिर चुनावी दंगल में उतरने से एक बार फिर विजय का सेहरा सुक्खू के सिर पर बंधा था।

2012 ओबीसी वर्ग का कोई भी प्रत्याशी चुनावी मैदान में नहीं था तो उस दौरान भाजपा के विजय अग्निहोत्री ने कॉग्रेस पार्टी के सुखविंद्र सिंह सुक्खू को लगभग 6700 से करीब मतों से पराजित किया था लेकिन 2017 में कॉग्रेस प्रत्याशी सुखविंद्र सिंह सुक्खू द्वारा दोबारा फिर अपनी चुनावी रणनीति को अंजाम देते हुए न केवल विजय अग्निहोत्री द्वारा 2012 में उन्हें 6700 मतों द्वारा दी गई हार के अंतर को कवर किया बल्कि लगभग 2200 वोट की बढ़त हासिल करके नादौन विधानसभा से अपनी जीत दर्ज की थी।

2022 के विधानसभा चुनावों में एक बार फिर नादौन विधानसभा के लोगों को 2003 का चुनवी दंगल याद आएगा, क्योकि इस बार फिर इस क्षेत्र में आम आदमी पार्टी की तरफ से ओबीसी वर्ग से तालुक रखने बाले शैंकी ठुकराल ने चुनावी दस्तक दे दी है और पूर्ण रूप से चुनावी प्रचार करने में पिछले लगभग दो वर्ष से सक्रि हैं,  इनको वर्तमान समय में लगभग हर वर्ग के लोगों का समर्थन भी मिल रहा है, जिस प्रकार 2003 में निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले प्रभात चौधरी को मिला था अब ये भविष्य के गर्भ में छिपा है कि ओबीसी बर्ग के मतदाताओं का रुझान इस बार क्या रहता है। क्या नादौन विधानसभा में इस बार फिर जातीय समीकरणों का प्रभाव देखने को मिलेगा? क्या आम आदमी पार्टी का झाड़ू प्रभात चौधरी के फैक्टर में सेंध लगाकर यहां अपना प्रभाव दिखा पायेगा या फिर पिछले राजनीतिक समीकरणों की तरह इस बार भी भाजपा के प्रत्याशी की हार का कारण बनकर कॉग्रेस प्रत्याशी सुखविन्दर सिंह सुक्खू के सिर पर जीत का सेहरा बांधने में सार्थक सिद्ध होगा।

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