आवाज़ ए हिमाचल
08 अक्तूबर। 3 दिन के लिए चीन में उद्योग बंद होने से भारत के फार्मा उद्योगों पर असर पड़ना शुरू हो गया है। कच्चे माल के दामों में 20 से 60 फीसदी उछाल आने से छोटे उद्योग बुरी तरह से प्रभावित हो गए हैं। भारत में 95 फीसदी कच्चा माल चीन से ही आता है। सप्लाई घटने से कच्चे माल के सप्लायर पहले से बुक किए ऑर्डर भी पूरे नहीं कर पा रहे हैं। वहीं जिन उद्योगपतियों ने दवा बनाने के लिए ऑर्डर लिए हैं, वे कच्चा माल बढ़े हुए दाम से पूरे नहीं कर पा रहे हैं।
चीन में बढ़ते प्रदूषण के चलते 3 दिन के लिए सभी उद्योग बंद कर दिए गए हैं। इससे देश के फार्मा उद्योग को कच्चा माल कम आ रहा है। रेट बढ़ाने के बावजूद छोटे उद्योगों को कच्चा माल उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। अब तक 600 रुपये प्रति किलो तक मिलने वाले पैरासिटामोल का कच्चा माल अब 950 रुपये प्रति किलो हो गया है। पीवीपीके-30 के दाम 350 से एक हजार रुपये हो गए।
ग्लिसरीन 65 से 250 रुपये प्रति किलो हो गई है। दर्द निवारक दवाई में लगने वाला कच्चा माल क्लोराजोक्साजॉन 750 से 950, एसिक्लोफिनेक के दाम 850 से बढ़कर 1150 रुपये हो गए हैं। फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज के हिमाचल प्रदेश चैप्टर के उपाध्यक्ष सुमित सिंगला के अनुसार देश में 11 हजार फार्मा उद्योग हैं, जिनमें 3000 उद्योग सरकार की वजह से बंद होने के कगार पर हैं।