घर से पैसे नहीं मिले तो बच्चों ने दवा बताकर मां बाप को चखा दिया चिट्टा,20 परिवार हो गए आदी

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आवाज ए हिमाचल 

03 फरवरी।नशे के लिए घर से पैसे नहीं मिले तो बच्चों ने मां-बाप को भी चिट्टा चखा दिया। किसी ने घुटने के दर्द की दवा बताई तो किसी ने अन्य बहाना बनाकर धोखे से परिजनों को इस चक्रव्यूह में फंसाया। एक-दो नहीं, बल्कि ऐसे करीब 20 परिवार हैं, जो इस लत के शिकार हो गए हैं। नशे की ऐसी लत लगी है कि मां-बाप खुद पैसा देकर चिट्टा मंगवा रहे हैं। पैसे कम पड़ गए तो रिश्तेदारों से उधार लिया। अब उधार नहीं मिल रहा तो गहने-बर्तन और पेड़ों को बेचकर नशे का इंतजाम किया जा रहा है।यह सनसनीखेज मामला मंडी जिला मुख्यालय से करीब 43 किलोमीटर दूर बिलासपुर जिला की सीमा पर स्थित सुंदरनगर उपमंडल के सलापड़ क्षेत्र का है। यहां एक साल के भीतर तीन युवा जान गंवा चुके हैं। लेकिन नशा माफिया का खौफ इतना है कि कोई कुछ कहने को तैयार नहीं। पुलिस चौकी है पर नशेड़ी और नशे का धंधा करने वाले बेलगाम हैं। यहां खंडहर में बदले सरकारी आवासीय काॅलोनी नशेड़ियों का अड्डा बन गई है। बिलासपुर के बरमाणा और मंडी के सलापड़ को जोड़ने के लिए सतलुज नदी पर एक पुल भी बना हुआ है। ज्यादातर धंधा इसी पुल से चलता है। चेन बनाकर सलापड़ से होते हुए जंजैहली, सराज, शिमला के रोहडू, कोटखाई और ठियोग तक नशा पहुंचाया जा रहा है। निशाने पर सेब उत्पादक क्षेत्र के युवा और पैसे वाले परिवारों के बच्चे हैं। नशे का धंधा करने वाले बाकायदा चेन बनाकर नशे की मुफ्त डोज का ऑफर दे रहे हैं। दो नए ग्राहक बनाने पर डोज मुफ्त मिल जाती है।एक परिवार के बेटे ने मां को घुटने के दर्द की दवा बताकर चिट्टे की डोज दे दी। दर्द से राहत मिली तो मां ने दूसरे दिन फिर वही दवा मांग ली। सिलसिला चलता रहा। इसी बीच मां को नशे की लत लग गई। नशे के लिए धीरे-धीरे सारी जमा पूंजी खत्म हो गई। तब मां और बेटे ने रिश्तेदारों से उधार लेना शुरू कर दिया। बार-बार उधार मांगने और दोनों का व्यवहार बदलने पर रिश्तेदारों को शक हुआ। बाद में पता चला कि दोनों ने घर के बर्तन, रसोई गैस सिलिंडर और पेड़ तक बेच दिए हैं। रिश्तेदारों ने घर की शादीशुदा दो बेटियों को इसकी जानकारी दी। बेटियां अब मां और भाई को नशे के इस दलदल से निकालने में जुटी हैं।

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