घरों-खेतों में उत्पाती बंदरों को मारना अब अपराध नहीं

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आवाज़ ए हिमाचल

शिमला। जंगल से बाहर भटक रहे बंदरों को मारने पर अब सजा नहीं होगी। बंदर वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के दायरे से बाहर हो गए हैं। वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट में बदलाव के बाद अब बंदरों को मारने पर किसी भी तरह की बड़ी सजा नहीं होगी। हालांकि बंदरों को जंगल में मारने की अनुमति नहीं है। जंगल में जाकर बंदरों को मारा जाता है, तो इसके एवज में नियमों के मुताबिक वन्य प्राणी विभाग कदम उठा सकता है। हालांकि यही बंदर घरों और फसल पर मंडराते हैं और उन्हें भगाते समय बंदरों की मौत होती है तो विभाग किसी भी तरह की कड़ी कार्रवाई नहीं करेगा। दरअसल, केंद्र सरकार ने हाल ही में वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट में बदलाव किए हैं। इन बदलावों के बाद कोई भी जानवर वर्मिन नहीं रह गया है। ऐसे में बंदर भी इस श्रेणी से बाहर आ गए हैं, लेकिन इस श्रेणी से बाहर आने के बावजूद बंदरों को संरक्षित वन्य जीव नहीं माना गया है। ऐसे में बंदरों को मारने पर कोई भी पाबंदी नहीं है।

गौरतलब है कि वन्य प्राणी विभाग ने बंदरों की बढ़ती संख्या को रोकने के लिए नसबंदी अभियान चला रखा है और इस अभियान के तहत अभी तक एक लाख 81 हजार बंदरों की नसबंदी की जा चुकी है। वन विभाग के अतिरिक्त प्रधान मुख्य अरण्यपाल अनिल ठाकुर ने बताया कि नया वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट लागू होने के बाद बंदर वर्मिन की श्रेणी में नहीं हैं। हालांकि बंदर उत्पात मचाते हैं और उन्हें मौत के घाट उतारा जाता है, तो आरोपी पर कड़ी कार्रवाई का कोई भी प्रावधान नहीं है।

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