ग्लोरी पब्लिक स्कूल बामटा में मनाया विश्व रेबीज दिवस

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आवाज ए हिमाचल

 अभिषेक मिश्रा, बिलासपुर। विश्व रेबीज दिवस का आयोजन बुधवार को ग्लोरी पब्लिक स्कूल बामटा में प्रधानाचार्य अशोक लता की अध्यक्षता में किया गया। जिसमें हेल्थ एजुकेटर विजय कुमारी और अन्य स्टाफ ने बच्चों को रेबीज के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की रेबीज क्या है कैसे होती है इससे बचाव के तरीके बताए। उन्होंने क्रमबद्ध इसके बारे में जानकारी देते हुए बताया की रेबीज का दूसरा नाम जलन तक है यह जंगली तथा पालतू जानवरों के काटने चाटने तथा उनकी खरोच आदि लगने के कारण होती है। विश्व रेबीज दिवस की शुरुआत ग्लोबल एलायंस फॉर रेबीज कंट्रोल में की गई थी इसलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 2007 से विश्व रेबीज दिवस मनाने की शुरुआत की गई है तथा तब से यह दिन 28 सितंबर को प्रतिवर्ष मनाया जा रहा है जिसका उद्देश्य लोगों को रेबीज के बारे में जानकारी प्रदान करना तथा अरबी जैसी भयंकर जानलेवा बीमारी से लोगों को बचाना है। यह राइबोन्यूक्लिक एसिड वायरस के कारण होता है जो पागल जानवर कुत्ता, बिल्ली, बंदर चमगादड़आदि की लार में मौजूद होता है। यह हमेशा किसी संक्रमित जानवर के काटने के बाद फैलता है जिससे घाव में लार और वायरस जमा हो जाते हैं।एक बार नैदानिक ​​लक्षण प्रकट होने पर, रेबीज़ वस्तुत 100 प्रतिशत घातक होता है। कार्डियो-श्वसन विफलता के कारण मृत्यु हमेशा चार दिन से दो सप्ताह में होती है। 99प्रतिशत मामलों में, घरेलू कुत्ते मनुष्यों में रेबीज वायरस के संचरण के लिए जिम्मेदार होते हैं। कूते के काटने पर घाव से वायरस को जितनी जल्दी हो सके निकालना महत्वपूर्ण है, घाव को तुरंत पानी और साबुन से धोना तथा 15 मिनट तक नल के नीचे लगातार पानी से धोते रह मरना और उसके बाद एंटीसेप्टिक्स का उपयोग कर जो तंत्रिका संक्रमण की संभावना को कम या खत्म कर देता है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि सभी लोग अपने पालतू जानवरों को रेबीज के लिए वैक्सीनेशन करें तथा करवाएं।

उन्होंने बताया कि 2030 तक विश्व स्वास्थ्य संगठन का लक्ष्य रेबीज के द्वारा जीरो मृत्यु है। प्रोग्राम को अधिक फल दायक बनाने के लिए चार्ट मेकिंग कंपटीशन भी कराया गया जिसमें 8 प्रतिभागियों ने भाग लिया। चारु ने इसमें फर्स्ट प्राइज प्राप्त किया द्वितीय प्राइस तनिष्क ने तथा तृतीय स्थान जिज्ञासा ने प्राप्त किया सभी बच्चों को प्राइस के रूप में रजिस्टर तथा पेंस दिए गए। किशोर स्वास्थ्य के 6 पहलुओं जैसे पोषण नशा मानसिक स्वास्थ्य प्रजनन एवं यौन स्वास्थ्य चोट एवं अहिंसा तथा गैर संक्रामक रोगों पर भी चर्चा की गई। पर्सनल हाइजीन तथा स्वच्छता सेवा पखवाड़े पर भी चर्चा की गई सूक्ष्म जलपान के रूप में केले फ्रूट सभी को वितरित किए गए इस अवसर पर अध्यापक, विद्यार्थी तथा आशा वर्कर सहित 56 लोग उपस्थित रहे।

 

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