ग्रेटर परवाणू औद्योगिक ऐरिया को जोड़ने वाला कामली खड़ींन पुल की हालत जर्जर

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आवाज़ ए हिमाचल 

यश पाल ठाकुर, परवाणू। औद्योगिक नगर परवाणू में जहां विकास के कार्य गरमाई राजनीति से धप पड़े हैं वहीँ कामली खडीन औद्योगिक इलाके को जोड़ने वाला एक मात्र पुल अपनी अंतिम साँसे गईं रहा है। कामली खडीन में कई अनगिनत छोटे बड़े उद्योग हैं और हाल ही में वहां कई इंडस्ट्रियल प्लाट बनाये जाने पर भी मंथन चल रहा है जिनमे कई औद्योगिक इकाइयां यहाँ अपना नया कारोबार शुरू कर सके, ऐसे में इस औद्योगिक क्षेत्र को जोड़ने वाले पुल की ऐसी हालत होना अपने आप में ही क्षेत्र में विकास की पोल खोलती दिखती है। कामली खडीन को जोड़ते कौशल्या नदी पर बने इस पुल की कुल भार क्षमता लगभग नौ टन भार झेलने की है और यह जानकारी पुल के साथ लगे चेतावनी बोर्ड पर साफ़ साफ़ लगी देखी जा सकती है, परन्तु इस क्षेत्र में उद्योग होने के कारण ऐसा संभव ही नहीं की इस पुल पर नौ टन के या उस से कम के ही मालवाहक या अन्य वाहन चलते होंगे। स्थानीय ग्रामीण वासियों का कहना है की पुल की स्थिति को देख कर अब तो आलम यह है की गाडी तो दूर की बात इस पुल से पैदल गुजरने में भी डर लगता हैं। इस दौरान कामली खडीन ग्रामीण वासियों ने सरकार व प्रशासन से निवेदन किया की जल्द से जल्द इस पुल का औद्योगिक क्षेत्र होने के मद्देनज़र दोबारा निर्माण किया जाए ताकी भविष्य में होने वाली किसी बड़ी दुर्घटना को रोका जा सके। बता दें की यह पुल कामली, खडीन, बनासर व भोजनगर को जोड़ने के लिए लगभग 40 वर्ष पहले ग्रामीण क्षेत्र को मद्देनज़र रखते हुए बनाया गया था, परन्तु बीते 20 वर्षों में अब इस पुल का इस्तेमाल कामली व खडीन में स्थित कई उद्योगिक इकाइयां भी कर रही हैं। कामली खडीन औद्योगिक एरिया में कई उद्योग हैं जिनका माल इसी पुल से होकर आता और जाता है और उद्योग होने का अर्थ है की कई भारी भरकम मालवाहक वाहन इस क्षेत्र में पुल पार कर के आते और जाते हैं। इस दौरान पीआईए महासचिव सार्थक तनेजा ने कहा की ग्रेटर परवाणू औद्योगिक क्षेत्र कामली खडीन औद्योगिक क्षेत्र से जोड़ने वाला यह एक मात्र पुल बहुत ही आवश्यक है। पिछली सरकार में इस पुल को नए बनाए जाने का शिलान्यास किया गया था और अब पुनः पिआइए प्रदेश सरकार से निवेदन करता है की इस पुल के नव निर्माण के लिए फंड का प्रावधान करें ताकी इस पुल को औद्योगिक क्षेत्र बनाये जाने के मापदंडों व नियमों को देखकर जल्द ही बना कर त्यार किया जा सके। उन्होंने कहा की हम चाहते हैं की बाहर से परवाणु आने वाली नई औद्योगिक इकाइयाँ यहाँ अपना उद्योग स्थापित कर सके, जिस से यहाँ के लोगों को नए रोज़गार के अवसर मिल सकें।

उधर, लोक निर्माण विभाग के एसडीओ शिव कुमार ने पूछे जाने पर कहा की इस पुल को नए बनाये जाने का एस्टीमेट लगभग 5 करोड़ 70 लाख के करीब बना कर उच्चाधिकारियों व सरकार को भेजा गया था जिसको पास कर दिया गया है और पुल की लेआउट को लेकर भी विभाग द्वारा टेंडर लगाया गया है। शिव कुमार ने कहा की जैसे ही फंड की व्यवस्था होती है और पुल की ड्राइंग बन कर त्यार होगी विभाग सभी सरकारी टेंडर प्रक्रियाओं को पूरा कर पुल के निर्माण कार्यो को शुरू करवा देगा।

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