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संजीव शर्मा, धर्मशाला ( काँगड़ा)। आज अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर गग्गल एयरपोर्ट पर आयुष विभाग के डॉ. प्रियंका, डॉ. दीपिका पठानिया और अमिता शर्मा (योग गाइड) की ओर योग आसन करवाए गए। इस दौरान उन्होंने योग का जीवन में महत्व बताते हुए प्रतिदिन योग करने की सलाह दी।
उन्होंने कहा कि शरीर, मन और संपत्ति सब ईश्वर के हैं, फिर चिंता की क्या ज़रूरत है? एक भक्त होने का लक्षण यही हैं, जो किसी बात की चिंता नहीं करता। जीवन में अच्छा और बुरा समय आएगा, लेकिन आपको हमेशा अपने आप को संतुलन में रखना है। अगर भक्तिभाव चरम सीमा पर होने के कारण आँखों में आँसू आते हैं, तो मन पवित्र हो जाता है।
ज्ञान से बुद्धि की शुद्धि होती है। दान करने से धन की शुद्धि होती है। योग और आयुर्वेद से शरीर की शुद्धि होती है। सेवा से कर्म की शुद्धि होती है और ध्यान से आत्मा की शुद्धि होती है। बुद्धि को शुद्ध करने के लिए, ज्ञान सुनिए ज्ञान क्या है? यह वह सजगता है कि सब कुछ नश्वर है और जो भी कुछ हो रहा है मैं उसका साक्षी मात्र हूँ। मेरा मन आत्मा में विलीन हो जाए
मन लहर है, आत्मा समुद्र है हमें निरंतर अपने मन को अंदर की ओर ले जाना है। तब आप देखेंगे, कि सारी चिंताएं गायब हो जाती हैं और मन खाली हो जाता है। ‘मैं कौन हूँ?’; इस बात पर विचार करिये। रोज़मर्रा की अव्यवस्था तो रहेगी, लेकिन इस सबसे परे कुछ ऐसा है, जो साक्षी भाव से यह सब होते हुए देख रहा है। इस बात पर बार बार विचार करिये
आधा मिनट के लिए करिये, जैसे ही आप सुबह उठते हैं, और रात को सोने के समय, हर वक्त नहीं। अपने आप से पूछिए, ‘मैं कौन हूँ?’ अपने आप से कहिये, ‘मुझे इस दुनिया से कुछ नहीं चाहिये’।
उन्होंने कहा कि जैसे जैसे आप आगे बढ़ते हैं, आपको लगेगा जैसे आप इस दुनिया के है ही नहीं! आपको लगेगा, कि आप यहाँ किसी गांव में आये हैं, लेकिन आपका घर तो कहीं और है आपको अनुभव होगा कि आपका घर कहीं और है और आप यहाँ सिर्फ घूमने आये हैं। तब आपको पता चलेगा कि आप वास्तव में कौन है। क्या यह आपका मन नहीं है, जो आपको सारी परेशानियां देता है? ज्ञान से मन शुद्ध होता है, और एक शुद्ध मन में दिव्यता झलकती है।