आवाज़ ए हिमाचल
सोलन। प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन में पकड़े गए नकली दवाओं के मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है। वाराणसी पुलिस की एसटीएफ के हत्थे चढ़ा सरगना साइपर फार्मा कंपनी में बनने वाली नामी कंपनियों की नकली दवाएं नकली पैकिंग में 60 से 100 रुपए में खरीदकर 300 से 400 रुपए में बेचता था। दुकानदार इसे 500-600 रुपए में ग्राहक को बेचते थे। बाजार में इन दवाओं की कीमत 1000 से 1200 रुपए की है। हैरानी की बात यह है कि बद्दी से देश में नकली दवाओं का कारोबार चला हुआ था और ड्रग विभाग को इसकी भनक न लगने से कई यक्ष प्रश्न खड़े हो गए हैं।
बता दें कि एसटीएफ ने 2 मार्च को नकली दवाओं के मामले में वाराणसी में की गई बड़ी कार्रवाई में नकली दवाओं का कारोबार करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया था। इस मामले में गिरोह के सरगना अशोक कुमार को गिरफ्तार कर उसकी निशानदेही पर करीब साढ़े सात करोड़ रुपए की भारी मात्रा में नकली दवाएं बरामद की गई थीं। आरोपित के खुलासे के बाद इस मामले के तार बद्दी से जुड़ गए थे। यह मामला सामने आते ही बद्दी में नकली दवा बनाने वाला यह उद्योग मार्च में ही बंद हो गया।
हालांकि ड्रग विभाग ने साइपर फार्मा कंपनी की मालिक रजनी को गिरफ्तार किया है। मार्च माह में सामने आए इस मामले में अढ़ाई माह बाद हो रही कार्रवाई पर सवाल खड़े हो रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अशोक नकली दवाओं को वाराणसी से ट्रांसपोर्ट के माध्यम से बंगलादेश, कोलकाता, ओडिशा, बिहार, हैदराबाद व उत्तर प्रदेश के आगरा और बुलंदशहर भेजता था। नकली दवाओं को गोदाम तक पहुंचाने में अलग-अलग राज्यों में उनके गिरोह के सदस्य सक्रिय थे।
यहां पर विदित रहे कि ड्रग विभाग ने नवम्बर माह में नकली दवा बनाने वाले एक उद्योग को सील किया था। इस उद्योग से भी करोड़ों रुपए की दवाएं बरामद हुई थीं। इस मामले में कई विभागों की लचर कार्यप्रणाली सामने आई थी। उद्योग विभाग के प्लाट में यह उद्योग पिछले कई वर्षों से अवैध रूप से चला हुआ था। बीबीएन में नकली दवाओं के सामने आ रहे मामलों से अब प्रदेश की छवि को बड़ा नुक्सान हो रहा है।