स्कूलों में मिड-डे मील की स्वच्छता और पौष्टिकता को लेकर दिया जाएगा प्रशिक्षण
आवाज़ ए हिमाचल
धर्मशाला। स्कूलों में बच्चों को परोसे जाने वाले मिड-डे मील की स्वच्छता और पौष्टिकता के साथ कोई समझौता न हो, इसको लेकर जिले भर में कार्यरत सभी मिड-डे मील वर्कर्स को प्रशिक्षण दिया जाएगा। खाद्य वस्तुओं में खाद्य सुरक्षा मानकों के कार्यान्वयन को लेकर जिला स्तरीय सलाहकार समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी रोहित राठौर ने यह बात कही। डीसी ऑफिस धर्मशाला में आज वीरवार को आयोजित इस बैठक में जिले में खाद्य पदार्थों में स्वच्छता और सुरक्षा मानकों की अनुपालना को लेकर विस्तार से चर्चा की गई। बैठक में खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत खाद्य वस्तुओं को परखने और उनकी गुणवत्ता सुनिश्चित करने पर बल दिया। एडीएम ने कहा कि सुरक्षित और पौष्टिक भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उनके निर्माण, भंडारण, वितरण और बिक्री को खाद्य सुरक्षा मानकों के तहत रेगुलेट किया जाना जरूरी है। एडीएम ने खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारियों को मिड-डे मील वर्कर्स के प्रशिक्षण के लिए एक ट्रेनिंग कैप्सूल तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा विभाग के रिसोर्स पर्सन्स जिले के सभी मिड-डे मील वर्कर्स को ऑनलाइन माध्यम से प्रशिक्षण प्रदान करेंगे, जिसके लिए शिक्षा विभाग उनका सहयोग करेगा। उन्होंने कहा कि स्कूलों की हेडमिस्ट्रेस और हेडमास्टर सुनिश्चित करें कि वे भी इस दौरान उपस्थित रहें। जिससे वे नियमित तौर पर मिड-डे मील की स्वच्छता और पौष्टिकता के लिए बताए गए नियमों और मानकों को परख सकें। रोहित राठौर ने कहा कि खाना पकाने के लिए उपयोग में आने वाले तेल का दोबारा इस्तेमाल न हो इसके लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण द्वारा ‘रूको’ नामक पहल की शुरुआत की गई है। उन्होंने कहा कि इसके तहत उपयोग में लाए गए तेल को दुकानों से खरीदकर एकत्रित किया जाएगा और उससे बायोडीजल बनेगा। उन्होंने बताया कि जिले में भी इसके लिए एक निजी एजेंसी के माध्यम से दुकानों और व्यावसायिक खाद्य परिसरों से उपयोग किए गए तेल को खरीदा जाएगा। उन्होंने जिले में खाद्य वस्तुओं को बनाने के लिए तेल का उपयोग करने वाले कारोबारियों से इसका पुनरुपयोग न करने की अपील की। रोहित राठौर ने बताया कि भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने मंदिरों में बनने वाले प्रसाद की स्वच्छता और गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से प्रोजेक्ट ‘भोग’ की शुरुआत की है। उन्होंने कहा कि इसके तहत जिला कांगड़ा में अभी तक श्री बगलामुखी मंदिर, श्री चामुंडा देवी मंदिर, श्री ब्रजेश्वरी मंदिर और श्री कुणाल पाथरी मंदिर को भोग परियोजना के अन्तर्गत पंजीकृत किया गया है। उन्होंने कहा कि श्री ज्वालाजी मंदिर, प्राचीन शिव मंदिर काठगढ़ और कालेश्वर मंदिर को भी फूड लाइसेंस प्राप्त हो गया है और जल्द ही यह मंदिर भी ‘भोग’ के तहत पंजीकृत हो जाएंगे। एडीएम ने कहा कि जिले में प्रसाद की स्वच्छता और गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रमुख मंदिरों ‘भोग’ परियोजना से जोड़ा जाएगा।
एडीएम ने जिले में खाद्य वस्तुओं की बिक्री और निर्माण के कारोबार में जुड़े व्यक्तियों को पंजीकृत करने की बात कही। उन्होंने कहा कि भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने पंजीकरण और लाइसेंस के लिए आवेदन करने की ऑनलाइन सुविधा प्रदान की है। उन्होंने कहा कि खाद्य वस्तुओं की बिक्री से जुड़े व्यवसायी एफओएससीओएस डॉट एफएसएसएआई डॉट जीओवी डॉट आइएन पर जाकर इसके लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि जिला कांगड़ा में वर्तमान में 20027 सक्रिय पंजीकरण और 1251 लाइसेंस हैं।
रोहित राठौर ने कहा कि खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम के अनुपालन को सुनिश्चित करवाने के लिए विभाग समय-समय पर इसके निर्माण और बिक्री केंद्रों का निरीक्षण कर सैंपलों की जांच करे। उन्होंने बताय कि गत तिमाही में विभाग द्वारा 176 खाद्य परिसरों का निरीक्षण किया गया। उन्होंने बताया कि इस दौरान खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता की जांच के लिए जिला कांगड़ा में विभिन्न खाद्य व्यवसाय संचालकों से 52 सैंपल लिए गए तथा 29 नमूनों का परीक्षण किया गया।
इस अवसर पर जिला खाद्य सुरक्षा सहायक आयुक्त सविता ठाकुर, नगर निगम खाद्य सुरक्षा सहायक आयुक्त मंजीत सिंह, खाद्य सुरक्षा अधिकारी डॉ. अभिषेक ठाकुर, जीएम उद्योग राजेश शर्मा सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।