आवाज़ ए हिमाचल
21 दिसंबर।पिछले सात साल से अपने ही घर के बरामदे में रह रही शाहपुर की 92 वर्षीय कौशल्या देवी को कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक के चेयरमैन डॉ राजीव भारद्वाज भी राहत नहीं दिला पाए है।राजीव भारद्वाज ने पिछले दिनों कौशल्या देवी के घर का दौरा किया था तथा अश्वाशन दिया था कि वे महिला को उनका घर दिलाने का पूरा प्रयास करेंगे,लेकिन बाबजूद इसके वे आज दिन तक धरातल में कुछ भी नहीं कर पाए है।चेयरमैन डॉ राजीव भारद्वाज के अश्वाशन बाद भी जब बुजुर्ग महिला को एक कमरा तक नही मिल पाया तो समाजसेवियों ने बैंक का लोन भरने के लिए चंदा इकट्ठा करना शुरू कर दिया।समाजसेवी केडी राणा व शेर सिंह ने स्थानीय लोगों संग 92 वर्षीय बुजुर्ग महिला को साथ लेकर सबसे पहले कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक की शाहपुर शाखा में जाकर चंदा मांग।उन्होंने बैंक प्रबंधक से चंदा लिया। इसके बाद उन्होंने बुजुर्ग महिला को साथ लेकर एसडीएम ऑफिस में कर्मचारियों से चंदा मांगा। देर शाम तक चली इस मुहिम में शाहपुर के कई दुकानदारों ने अपना सहयोग दिया और बूढ़ी मां कौशल्या देवी के माकन को खुलवाने की सरकार से अपील भी की।समाज सेवी केडी राणा और शेर सिंह ने बताया कि वे राज्य भर में चंदा इकट्ठा करेंगे ताकि उनके ऊपर जो कर्ज है उसकी भरपाई की जा सके। उन्होने कहा कि आने वाले दिनों में डीसी कांगड़ा से भी चंदा मांगेंगे। इसके साथ वह सभी विधायकों, मुख्यमंत्री और हिमाचल में आ रहे प्रधानमन्त्री से भी चंदा इकठ्ठा करेंगे। उन्होंने कहा कि हमारे समाज के लिए ये बड़े ही शर्म की बात है कि सरकार और बैंक अमीर लोगों के कर्ज तो माफ़ कर सकती है, लेकिन 92 साल की कौशल्या देवी का कर्ज माफ़ नही किया जा सकता। वह अपने जीवन के अंतिम समय में सात साल से बरामदे में रह रही है, लेकिन उनके बारे में अभी तक किसी ने कुछ नही सोचा।शाहपुर की कौशल्या देवी के बेटे ने 2004 में बैंक से पांच लाख रुपए कर्ज लिया था। बीमारी के कारण कर्ज न चुका पाने पर बैंक ने 2015 में बुजुर्ग महिला को बाहर कर मकान को सील कर दिया था तथा तब से अब तक वे घर के बरामदे में रह रही है।
बड़ी बात यह है कि बुजुर्ग घर के ताले न तोड़ दे इसके लिए बाकायदा बैंक ने पहरे के लिए दो चौकीदार भी तैनात कर दिए। समाज सेवी केडी राणा और शेर सिंह ने स्थानीय लोगों साथ मिलकर मंगलबार को पैसा इकट्ठा करने के लिए चंदा मांगा,चंदा देने वाले मंजू देवी, किरण गोस्वामी और दीपक सोनी आदि ने कहा कि कर्ज न चुकाने पर एक बुजुर्ग को घर बैंक ने घर से बाहर निकाल दिया। ये सभ्य समाज के लिए बड़े ही शर्म की बात है। जब सरकार और बैंक बड़े बड़े पूंजीपतियों और रसूख दार लोगों के कर्ज माफ कर सकता है तो एक बुजुर्ग मां का कर्ज क्यों नहीं माफ़ हो सकता है।