आवाज़ ए हिमाचल
.अभिषेक मिश्रा, बिलासपुर
05 नवंबर।अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य व पूर्व मंत्री व विधायक राम लाल ठाकुर ने कोल घोटाले को लेकर कुछ ऐसे तथ्य पेश किए है,जिन पर भाजपा के नेताओं को जबाब देना मुश्किल हो जाएगा। उन्होंने कहा कि चार जनवरी 2018 को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने एक आरोप पत्र यानि चार्जशीट दाखिल की थी यह आरोप पत्र “कोलगेट” घोटाले से संबंधित कई मामलों में से एक की जांच से जुड़ा था।
आरोप पत्र में सीबीआई ने राज्य अधिकृत कर्नाटक पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड यानि केपीसीएल, इसके प्राइवेट पार्टनर ईएमटीए और उनके संयुक्त उद्यम कर्नाटका ईएमटीए कोल माइन्स लिमिटेड (केपीसीएल) पर अनियमितता के आरोप लगाए। ये अनियमितता कथित तौर पर महाराष्ट्र में छह कोल खंडों के आवंटन में बरती गई थी। सीबीआई ने इन तीन कंपनियों पर गैर-कानूनी काम करने का आरोप लगाया है। जो आरोप सीबीआई ने इन तीन कंपनियों पर लगाए हैं वे ही आरोप एक संयुक्त उद्यम अडाणी एंटरप्राइज लिमिटेड पर भी लग सकते हैं लेकिन इसके बावजूद अडाणी समूह के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया गया।
राम लाल ठाकुर ने कहा कि सिंतबर 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने 214 कोयला खंडों के आवंटन को गैर-कानूनी करार दिया था। इनमें केपीसीएल को दिए गए छह खंड भी शामिल थे। सीबीआई इनके आवंटन में अनियमितताओं और इनकी खुदाई की जांच कर रही है। 1993 से शुरू हुए इन आवंटनों की जांच 2012 से चल रही है. अपनी जांच के दौरान 2015 में सीबीआई ने केपीसीएल, ईएमटीए और केईसीएमएल के अध्यक्षों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इनके खिलाफ आवंटन के नियम के उल्लंघन का मामला दर्ज किया गया। ये नियम कोयला मंत्रालय द्वारा बनाए गए थे। वहीं, खारिज कर दिए गए कोयले और साफ किए जाने के दौरान छनने वाले खराब गुणवत्ता वाले कोयले को खुले बाजार में बेचने का भी मामला दर्ज किया गया है।
तीन साल बाद सीबीआई ने यह प्रमाणित किया कि केपीसीएल, ईएमटीए और केईसीएमएल तीनों ही गोरखधंधे में शामिल थे। केपीसीएमएल पर आरोप लगाया गया कि इसने सरकार से झूठ बोलते हुए कहा कि इनके खादान के बेकार कोयले की कोई कीमत नहीं है जबकि ईएमटीए ने उसी कोयले को प्राइवेट कोयला कंपनियों को बेचा था। इसमें मैंने ऐसी ही तीन कंपनियों के गठबंधन द्वारा ऐसे ही घोटाले की जानकारी सार्वजनिक की थी. इनमें राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेल यानि आरआरवीयूएनएल (एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम), इसका प्राइवेट पार्टनर अडाणी एंटरप्राइज लिमिटेड यानि एईएल और उनका संयुक्त उपक्रम परसा कांता कोयलरीज लिमिटेड यानि पीकेसीएल शामिल थे।
एईएल अडाणी समूह की मुख्य कंपनी है। इसके संस्थापक और प्रमुख गौतम अडाणी एक उद्योगपति हैं जिन्हें प्रधानमंत्री मोदी का करीबी माना जाता है। सीबीआई का आरोप देखने पर केपीसीएल और आरआरवीयूएनएल संयुक्त उपक्रमों के काम करने के तौर तरीकों में जबरदस्त समानता नजर आती है। लेकिन सीबीआई ने सिर्फ केपीसीएल के संयुक्त उपक्रमों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बंद कर दिया गया था।
वहीं, आरआरवीयूएनएल, एईएल और पीकेसीएल कानून की नजर से साफ बच निकले हैं. इन कंपनियों को जांच के घेरे में लाने की सीबीआई की असफलता संदेहास्पद है। ऐसा इसलिए है क्योंकि मार्च 2018 में कारवां की जिस रिपोर्ट में पीकेसीएल द्वारा बरती गई अनियमितताओं को उजागर किया गया था वो रिपोर्ट पूरी तरह से सार्वजनिक दस्तावेजों पर आधारित है। वर्ष 2014 में मोदी ने चुनावों के दौरान कोयला ब्लॉकों के गैरकानूनी आवंटन को भले ही बड़ा मुद्दा बनाया था, लेकिन पिछले चार सालों में उनकी सरकार भी कोयला क्षेत्र में अनियमितताओं से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू करने में विफल रही है।
इस क्यों हो रहा है राम लाल ठाकुर ने कहा कि जनलोकपाल, कोलगेट और 2 जी जैसे मुद्दों पर केंद्र की मोदी सरकार सत्ता में आई थी तो अब इनका मुँह क्यों बंद है।