कोरोना से पिता की मौत के बाद इंजीनियर बेटे ने खोली टांडा अस्पताल की पोल,मंत्रियों की कार्यप्रणाली पर भी उठाए सवाल

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आवाज ए हिमाचल 

26 अप्रैल। कांगड़ा जिले के शाहपुर निवासी राजेंद्र प्रसाद शर्मा की कोरोना से मौत हो गई। उनके बेटे अभिनव शर्मा ने बताया कि उनके पिता प्रोफेसर के पद से रिटायर हुए थे। 26 मार्च को वह कोरोना पॉजिटिव पाए गए और इसी दिन उन्हें टांडा अस्पताल में भर्ती करवाया गया। लेकिन यहां उन्हें न सही इलाज मिला और न पर्याप्त सुविधाएं थीं। इसलिए 28 मार्च को उन्हें पंचकूला के एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया, लेकिन वह नहीं बच पाए। अभिनव ने बताया कि जब टांडा मेडिकल कॉलेज में पिता की हालत खराब हो रही थी तो उन्होंने अपने इलाके शाहपुर की विधायक और मौजूदा सरकार में मंत्री सरवीण चौधरी को फोन किया, लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया। रात को दो बजे पिता का ऑक्सीजन लेवल 89 था, जो गिरता गया। जब वे अस्पताल के स्टाफ के सामने गिड़गिड़ाए तो जवाब मिला कि हमारे पास और भी मरीज हैं। हम आपके पिता के साथ ही नहीं रह सकते।

अभिनव बताते हैं कि रात को उन्होंने जब स्वास्थ्य मंत्री को फोन किया तो किसी शख्स ने फोन उठाया और मदद का भरोसा दिया, लेकिन कोई मदद नहीं मिली। अगली सुबह डॉक्टरों ने कहा कि आपके पिता की हालत ठीक है और उन्हें धर्मशाला कोविड सेंटर में शिफ्ट किया जाएगा, लेकिन उनकी तबीयत ठीक नहीं थी, इसलिए वे उन्हें चंडीगढ़ ले गए। जहां पता चला कि उनके फेफड़ों में इंफेक्शन हो गया है, जो बढ़ता गया और उनकी मौत हो गई। अभिनव ने बताया कि उनकी मां और भाई भी धर्मशाला कोविड केयर सेंटर में भर्ती थे। रात को जब भाई को 103 बुखार आया तो कोई डॉक्टर उन्हें देखने नहीं पहुंचा। जब हमने CMO से शिकायत की और कहा कि हम DC से बात करेंगे तो अगले दिन डॉक्टर देखने आया। दवाइयां भी खिड़की से दी जाती हैं। बाद में जब मां और भाई की तबीयत बिगड़ी तो उन्हें भी चंडीगढ़ में शिफ्ट करना पड़ा। अब उनकी तबीयत में सुधार हो रहा है।
अभिनव ने हिमाचल प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि कोई भी मंत्री आपकी जिंदगी नहीं बचाएगा। सूबे में ऐसा कोई अस्पताल नहीं है, जहां जरूरत के अनुसार बेड और वेंटिलेटर हैं, क्योंकि हमारे पूर्व मुख्यमंत्री और मंत्री इलाज के लिए प्रदेश से बाहर जाते हैं। इसी से पता चलता है कि प्रदेश की स्वास्थ्य प्रणाली कैसी है। हिमाचल में अच्छे निजी अस्पताल भी नहीं हैं। अभिनव का आरोप है कि टांडा में एक महीने से सीटी स्कैन की मशीन खराब पड़ी है। कोविड वार्ड में दिन में दो बार डॉक्टर आते हैं और रात को डॉक्टर मिलते ही नहीं हैं। अभिनव ने कहा कि मुझे हिमाचली होने पर गर्व था, लेकिन मौजूदा हालात को देखकर शर्म महसूस होती है कि प्रदेश में एक अच्छा अस्पताल भी नहीं है, जहां इलाज करवाया जा सके।

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