आवाज ए हिमाचल
विनोद चड्ढा,घुमारवीं(बिलासपुर)
11 मई। कोविड-19 महामारी हिमाचल प्रदेश में भी हर दिन सैकड़ों लोगों की जान ले रही है और मरने वालों में ऐसे कई युवा भी शामिल हैं जिनकी कोई मेडिकल हिस्ट्री नहीं थी। इस आपदा से निपटने में स्वास्थ्य विशेषज्ञों का साथ सहयोगी पेरामेडिकल स्टाफ सदस्यों के अतिरिक्त कई अन्य कोरोना वारियर का सराहनीय कार्य कर रहे हैं । कोरिना संक्रमित रोगियों और कोविड-19 मरीजों को अनगिनत समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है । कोविड केयर सेंटर्स में भर्ती किए गए कोविड-19 के गंभीर मरीजों के उपचार के लिए सरकार ने जिला हस्पताल सहित अन्य हस्पतालों से विशेषज्ञ डॉक्टर तैनात किए हैं लेकिन फिर भी डॉक्टरों की कमी पूरी नहीं हो रही है।
विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी के कारण जिला बिलासपुर सहित प्रदेश के कई हस्पतालों में वेंटिलेटर व आई सी यू संचालित नहीं होने के कारण मरीजों को जान गंवानी पड़ रही है वहीं हैरानी इस बात की है कि केंद्र व राज्य सरकार के आपसी तालमेल न होने के कारण इस भीषण महामारी के दौरान भी एम्स बिलासपुर में तैनात किए गए 76 विशेषज्ञ डॉक्टरों की सेवाएं नहीं ली जा रही हैं और न ही एम्स में तैयार हो चुके अस्पताल भवनों को कोविड मरीजों के उपचार के लिए प्रयोग मे लाया जा रहा है।
एसोसिएट व एसिसटेंट प्रोफेसर स्तर के भी एम्स में तैनात किए गए हैं लेकिन सरकारी लालफीताशाही और असंवेदनशीलता की वजह से इस भयंकर महामारी से निपटने में इनकी सेवाएं नहीं ली जा रही और दूसरी तरफ ईलाज के आभाव में कई मरीज असामयिक मृत्यु का शिकार हो रहे हैं । लगातार बढ़ रहे मरीजों के इलाज के लिए एक तरफ स्कूल, कालेज व अन्य स्संथाओं के निजि भवनों को भी कोविड केयर सेंटर्स के तौर पर प्रयोग में लाया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ एम्स बिलासपुर के नवनिर्मित भवनों का इस्तेमाल नहीं किया जाना सभी की समझ से परे है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री जय राम ठाकुर ने भी कुछ दिन पूर्व एम्स डॉक्टरों की सेवाएं लेने की बात कही थी लेकिन यह सिर्फ न्यूज हैडलाईनज तक सीमित रही और धरातल में कुछ भी नहीं हुआ। केंद्र व राज्य सरकार ने शीघ्र इस संदर्भ में कोई कदम नहीं उठाया तो कांग्रेस पार्टी जिलाधीश कार्यलय के बाहर धरना देकर सरकार का ध्यान आकर्षित करेगी।