बोले- कोविड प्रकोप अभी भारत में आया नहीं कालाबजारी शुरू
आवाज़ ए हिमाचल
शांति गौतम, स्वास्तिक गौतम। अपनी जीरो कोविड पॉलिसी के चलते चीन ने खुद का बड़ा नुकसान किया और अपनी जनता में हाई इम्युनिटी नहीं बनने दी। इसके विपरित भारत में 95 फीसदी आबादी इम्यून हो गई, जबकि चीन में मात्र 15 फीसदी ही रही। ओमिक्रॉन के जिस वैरिएंट बीएफ-7 को लेकर अभी हल्ला मचाया जा रहा है, उसकी हकीकत ये है कि देश में जुलाई से लेकर अक्टूबर तक इस वैरिएंट के 4 से अधिक मरीज मिल चुके हैं, जबकि सोशल मीडिया पर ऐसा ढोल पीटा जा रहा है मानो ये मरीज बीते 24 घंटे में ही मिले हों।
ओमिक्रॉन की जो तीसरी लहर देश में आई थी उसने बड़ी आबादी को संक्रमित किया था और विशेषज्ञों ने उसे नैचुरल वैक्सीन भी बताया। यही कारण है कि तीसरी लहर और उसके बाद कोरोना भारत में नुकसान नहीं पहुंचा सका और यह स्थिति अभी आगे भी कायम रहेगी। हालांकि सतर्कता और सुरक्षा सभी को बरतनी चाहिए।
एफ आई आई फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री हिमाचल के उपाध्यक्ष सुमित सिंगला ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं चीन में कोविड महामारी ने अपना पूरा पांव पसार रखा है। इसके साथ और भी देश इसकी चपेट में आए हैं। भारत में अभी तक दो तीन केसों की पुष्टि हुई है। सुमित सिंगला ने कहा की पहले भी कॉविड महामारी में कालाबाजारी बहुत शिखर पर रही थी, जबकि अभी भारत में कोविड महामारी ने अपना पांव नहीं पसारा है, जिसके विपरीत 48 से 72 घण्टे में फार्मा एपीआई कच्चे मॉल में 25 से 30 प्रतिशत तेजी देखने को मिल रही है, जबकि मार्केट में मांग से ज्यादा दवाओं की सप्लाई है। उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया व उच्च अधिकारीयो से मांग है कि पहले भी कॉविड के दौरान एपीआई कच्चे माल के उद्योगों व ट्रेडरों ने कालाबाजारी की थी उस पर सरकार अभी से ही निगरानी रखे, जिससे उद्योगों को उत्पादन करने में किसी समस्या का सामना न करना पड़े व सस्ते दामों पर दवाई लोगों तक पहुंच सके। उन्होंने आंकड़ा देते हुए कहा कि पैरासिटामोंल पीसीएम जो 525 रुपए मिलती थी की कीमत 650 से ज्यादा कीमत तक पहुंच गई है, वहीं एजिथ्रोमाइसिन जिसका मूल्य 7300 रुपए प्रति टन था ग्यारह हजार से ऊपर, अमॉक्सीलीन ट्राईहाइड्रेट की कीमत अठाईस सौ से बढ़कर 3200 रुपए, क्लेवयेलनलेट की कीमत बीस हजार से ज्यादा तक पहुंच गई है। सुमित सिंगला ने मांग की है कि इस कालाबाजारी को रोकने हेतु ठोस कदम उठाए जाए।