आवाज़ ए हिमाचल
नई दिल्ली। देश में युवाओं की अचानक हो रही मौतों में एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। आपने देखा होगा की देश में बीते दिनों युवक डांस करते हुए, क्रिकेट खेलते हुए और हल्दी लगाते हुए अचानक से मौत के मुंह में समा जाते हैं। अब इन अचानक हो रही मौतों पर जो रिपोर्ट सामने आई है, वह चिंता बढ़ाने वाली है। डॉक्टरों का कहना है कि जो लोग कोरोना वायरस की चपेट में आ चुके हैं उन लोगों में अचानक हार्ट अटैक से मौत का खतरा सबसे अधिक है। ऐसे मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है। यह चौंकाने वाली रिपोर्ट अमरीकी रिसर्च के बाद सामने आई है। रिसर्च के मुताबिक जो लोग कोरोना की चपेट में आ चुके हैं उनमें कॉर्डियक अरेस्ट, स्ट्रोक का खतरा सबसे अधिक है। हालांकि भारत सरकार की तरफ से इस बारे में कोई भी डाटा सार्वजनिक नहीं किया गया है।
गौरतलब है कि देश में पहले 60 साल आयु वर्ग को लोग ही हार्ट अटैक की चपेट में आते थे, लेकिन अब 20 साल के युवा भी हार्ट अटैक का शिकार हो रहे हैं जो एक चिंता का विषय है। हालांकि कई विशेषज्ञों का कहना है कि बदलता मौसम भी हार्ट अटैक जैसी घटनाओं की एक बड़ी वजह है। मौसम के लगातार बदलने से इन्फेक्शन की आशंका बढ़ जाती है। खान-पान में बदलाव और वर्क आउट की कमी से भी हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है।
एक निजी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में इंदौर के हार्ट स्पेसलिस्ट डॉ. महेंद्र चौरसिया का कहना है कि कोरोना के चलते युवाओं की इम्युनिटी कमजोर हो रही है। इसके चलते युवाओं को ब्लड प्रेशर, डायबीटीज, लीवर और हार्ट से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। डॉ. चौरसिया के मुताबिक कोरोना की दूसरी वेव में संक्रमित हुए मरीजों की खून की नलियां सिकुड़ गई हैं। उनमें कई बदलाव देखने को मिल रहे हैं, जिसके चलते एंडोठेलियम डैमेज हो रही हैं। ऐसा होने से मरीज में ब्लड क्लोटिंग की समस्या बढ़ जाती है जो हार्ट अटैक का कारण बनती है।
AIIMS के प्रोफेसर राकेश यादव के अनुसार, ऐसे मामलों के मात्रात्मक डेटा नहीं है, लेकिन ऐसे मामलों में कम से कम 10-15% की बढ़ोतरी देखी गई है। उन्होंने सुझाव दिया कि जो लोग कोविड से संक्रमित थे, उन्हें अपनी उम्र या फिटनेस की परवाह किए बिना सांस फूलने जैसे लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।