कैदी पवन कुमार के स्वजनों ने कहा कोरोना से नहीं हुई मौत, जेल प्रशासन की लापरवाही रही वजह

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आवाज ए हिमाचल 

04 जून। जिला मुक्त कारागार धर्मशाला के बुधवार देर रात जनवरी माह में पालमपुर के हुए वाहन पंजीकरण फर्जीवाड़े के मुख्य आरोपित पवन कुमार निवासी सेक्टर 41-ए चंडीगढ़ की कोरोना संक्रमण से मौत हो गई थी। जिसके बाद वीरवार को जेल के 13 कैदी भी कोरोना संक्रमित पाए गए हैं।जेल प्रशासन ने कोरोना संक्रमित मृतक का पोस्टमार्टम के बाद आज शुक्रवार को स्वजनों का शव सौंप देंगे। इसके लिए मृतक के परिवार के लोग धर्मशाला पहुंच गए हैं। यहां पहुंचकर स्वजनों ने जेल प्रशासन ने लापरवाही का इल्‍जाम लगाया है। स्वजनों व मृतक के बेटे गुरदीप ने कहा कि उनके पिता विभिन्न बीमारियों से ग्रसित थे। पिछले 20 सालों से उनका इलाज चल रहा था।वाहन पंजीकरण फर्जीवाड़े मामले को लेकर जब उनकी गिरफ्तारी हुई थी।

उस दौरान भी उनके पिता ने अपने स्वास्थ्य की जांच करवाई थी। चंडीगढ़ में करवाए गए टेस्टों और डाक्टर की रिपोर्ट का हलावा देते हुए गुरदीप ने कहा कि उनके पिता पिछले 20 सालों से शुगर और हृदय की बीमारी से ग्रसित थे।डाॅक्टर ने विशेष तौर पर लिखकर दिया था कि उनके पिता पवन का कोई भी बीमारी होने पर सामान्य तौर पर इलाज ने किया जाए। इसका इलाज करने वाले डाक्टर पहले उनकी हिस्ट्री पढ़ने के बाद ही जांच शुरू करें। इसके अलावा मुख्य रूप से उनके खान पान का विशेष ध्यान रखना बहुत ही ज्यादा जरूरी है। अगर उन्हें कोई गलत या सामान्य दवाई दे दी तो उसके बहुत घातक परिणाम हो सकते हैं।उन्होंने बताया कि इस सारी रिपोर्ट उन्होंने पुलिस व जेल प्रशासन को भेजी थी।

इसके बावजूद बुधवार रात को जब उनके पिता की तबीयत खराब हुई तो जेल प्रशासन ने अपने डॉक्टर को बुलाकर सामान्य तौर पर इलाज शुरू कर दिया और ऐसे ही बिना पुरानी हिष्ट्री देखे उन्हें इंजेक्शन दे दी है। इसी के कारण उनके पिता की मौत हुई है। इसके अलावा जेल प्रशासन को चाहिए था  कि उनके खान पान का मरीज के तौर पर ध्यान रखा जाता। सही खाना पीना न मिलने के कारण ही उनके पिता बीमार हुए और जेल प्रशासन की लापरवाही से मौत हो गई।उधर जेल अधीक्षक विकास भटनागर ने बताया कि यहां नियमों के हिसाब से ही कैदियों को रखा जाता और चिकित्सा अधिकारी ही उनके स्वास्थ्य की जांच करता है। फिर भी परिवार वालों को जो आरोप है वो पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद खत्म हो जाएगा।

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