आवाज़ ए हिमाचल
शिमला। कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक (केसीसी) हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट से 790 विभिन्न पदों पर प्रमोशन करने की अनुमति मिल गई है। अदालत ने शर्त लगाई है कि विकलांगता का लाभ देने के लिए ग्रेड-वन के चार पद रिक्त रखे जाएं। अदालत ने अपने आदेशों में स्पष्ट किया है कि विभिन्न श्रेणी के पदों को भरते हुए बैंक विकलांग कर्मचारियों के लिए आरक्षित पदों को किसी अन्य से न भरे। मुख्य न्यायाधीश एए सैयद और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ ने अपने पिछले आदेशों को संशोधित करते हुए यह आदेश पारित किए।
अदालत ने 24 नवंबर को बैंक में होने जा रही सभी पदोन्नति पर रोक लगा दी थी। अदालत ने अपने आदेशों में स्पष्ट किया था कि बिना अदालत की अनुमति से कोई भी प्रमोशन न की जाए। याचिकाकर्ता भारत भूषण ने आरोप लगाया है कि इन पदों को भरते समय बैंक विकलांगता अधिनियम 2016 में दिए प्रावधानों का पालन नहीं कर रहा है। दलील दी गई है कि राज्य सरकार ने 6 जुलाई, 2022 को जारी अधिसूचना के तहत सभी विभागों और निगमों में 4 प्रतिशत आरक्षण विकलांग कर्मचारियों के लिए निर्धारित करने का प्रावधान रखा है।
बैंक ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने अदालत से तथ्यों को छुपाया है और प्रमोशन के माध्यम से भरे जाने वाले पदों को रोकने के कोशिश की है। दलील दी गई कि याचिकाकर्ता विकलांगता अधिनियम के प्रावधानों के लाभ का हकदार नहीं है। वह पहले ही क्लास-वन की श्रेणी में आता है, जबकि राज्य सरकार की 6 जुलाई, 2022 की अधिसूचना के तहत यह स्पष्ट किया गया है कि विकलांगता का लाभ क्लास-वन के पद तक ही दिया जाएगा। बैंक के कर्मचारियों की श्रेणी का वर्गीकरण सहकार विभाग के पंजीयक ने किया है। इसके तहत क्लास-वन के कर्मचारी ग्रेड-टू में आते हैं। बैंक के विभिन्न विभागों में कर्मचारियों की कमी को देखते हुए चुनाव आयोग ने इन पदों को भरने की मंजूरी दी थी। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलों सुनने के बाद यह आदेश पारित किए।