केंद्र से मिल रहा पैसा जा कहां रहा है, क्या अब हम जनता की आवाज़ को भी न उठाएं: जयराम ठाकुर

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आवाज़ ए हिमाचल

मंडी। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा है कि आपदा के समय राजनीति भाजपा नहीं कांग्रेस कर रही है। केंद्र से लगातार मदद मिल रही है, लेकिन बेशर्मी देखिए मुख्यमंत्री समेत सभी कांग्रेस नेता कह रहे कोई मदद नहीं हुई। विपक्ष को बोलने का अधिकार नहीं है क्या। हम जहां भी जा रहे हैं जनता की आवाज़ को उठा रहे हैं। जनता की बात हम कहेंगे। जनता कह रही है राहत के नाम पर कुछ नहीं मिला। क्या हम उनकी बात को भी न उठाएं। मैं पूछना चाहता हूं केंद्र से अब तक एक हज़ार करोड़ से अधिक की राशि मिल चुकी है फिर ये पैसा कहां जा रहा है। एक माह पहले जब मैं दिल्ली गया तो दो किश्तों में 364 करोड़ केंद्र से मिला। हमारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा जी आए और तुरंत दिल्ली से दूसरे दिन 190 करोड़ और भेजा गया। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी जी को लेकर हम आए और उन्होंने 400 करोड़ सीआरएफ के तहत प्रदेश को जारी किया। केंद्र से 2700 करोड़ की राशि प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना-3 के तहत आई। वह कौन दे रहा है। केंद्र ने बचाव एवं राहत कार्यों के लिए एक माह से चार-चार हेलीकॉप्टर तैनात कर रखें हैं और एनडीआरएफ, सेना और वायु सेना के जवान लोगों की जिंदगियां यहां बचा रहे हैं, वे किसने भेजे हैं। मेहरबानी करके जो राशि केंद्र से मिल रही है उसको पात्र प्रभावितों तक पहुंचाओ। कांगड़ा के मड एरिया से 3000 लोग बाढ़ प्रभावित इलाकों से दो दिन में सुरक्षित पहुंचाए ये कौन कर रहा है।

क्या कांग्रेस पार्टी ये सब काम काम कर रही है। विपक्ष सरकार को पूरा सहयोग दे रहा है ,लेकिन फिर भी बोल रहे हैं कि नेता प्रतिपक्ष और भाजपा राजनीति कर रही है। आपको श्रेय चाहिए तो लीजिए, किसने मना किया है, लेकिन हमें जनता की आवाज उठाने से सरकार नहीं रोक सकती है। यहां आज मुझे लोगों ने बताया है कि राहत के नाम पर कुछ नहीं हुआ फिर सरकार और प्रशासन आखिर क्या कर रहे हैं। शिमला में कल एक महिला ने कहा कि हमने बरसात से पहले मांग की थी की एक दो पेड़ कृष्णानगर में खतरनाक बने हुए हैं, लेकिन नहीं काटे और आज उन्ही पेड़ों की वजह से कई घर जमींदोज हुए हैं। इसके लिए कौन जिम्मेदार है। इसलिए कांग्रेस पार्टी के नेताओं को बोलने से पहले सोच लेना चाहिए की आखिर बोलना क्या है। राजनीति तो ये लोग कर रहे हैं सरेआम झूठ बोलकर।

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