आवाज ए हिमाचल
29 अप्रैल। कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों और बढ़ती मांग के बीच केंद्र सरकार रेमडेसिविर इंजेक्शन के उत्पादन को बढ़ाने के लिए कदम उठा रही है, जो मई के पहले सप्ताह में प्रतिदिन 3 लाख शीशियों तक जाने की संभावना है। रासायनिक और उर्वरक मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि सरकार रेमडेसिविर इंजेक्शन का उत्पादन पहले ही बढ़ चुका है। मंत्रालय बाजार में रेमडेसिविर इंजेक्शन की उपलब्धता की निगरानी कर रहा है। मई के पहले सप्ताह तक रेमेड्सवियर का उत्पादन प्रतिदिन 3 लाख शीशियों तक बढ़ाया जाएगा। मडेसिविर इंजेक्शन कोरोना वायरस के उपचार में इस्तेमाल होने वाली एक एंटीवायरल दवा है।
मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि सरकार खुले बाजार में रेमेडिसवायर को उपलब्ध कराने के लिए सभी प्रयास कर रही है, ताकि मौजूदा जरूरतों को पूरा किया जा सके। देश में कोरोना के मामलों में वृद्धि के कारण रेमडेसिविर इंजेक्शन की भारी मांग रही है। पिछले कुछ हफ्तों में रेमडेसिविर इंजेक्शन की जमाखोरी और कालाबाजारी के काफी मामले सामने आए हैं।
रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री (मनोज) मनसुख मंडाविया ने बुधवार को सार्वजनिक क्षेत्र, निजी क्षेत्र के साथ सहकारी क्षेत्र की उर्वरक कंपनियों के साथ अपने संयंत्रों में ऑक्सीजन के उत्पादन की संभावना का पता लगाने के लिए एक बैठक की अध्यक्षता की थी। उच्च स्तरीय बैठक में यह फैसला लिया गया कि कोरोना वायरस के रोगियों के लिए प्रतिदिन लगभग 50 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन को उर्वरक संयंत्रों द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा। ये कदम आने वाले दिनों में देश के अस्पतालों में मेडिकल-ग्रेड ऑक्सीजन की आपूर्ति को बढ़ाएगा।
रेमडेसिविर निर्यातकों को मिल सकती है घरेलू बाजार में बिक्री की इजाजत
कोरोना संक्रमण के इलाज में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन रेमडेसिविर की किल्लत दूर करने के लिए सरकार निर्यातकों को घरेलू बिक्री की इजाजत दे सकती है। रेमडेसिविर इंजेक्शन के निर्यात पर रोक के बाद इस इंजेक्शन के निर्यातक सरकार से इसकी घरेलू बिक्री की इजाजत मांग रहे हैं। निर्यातकों ने औषधि नियंत्रक एवं विदेश व्यापार निदेशालय से यह मांग की है।देश में रेमडेसिविर की किल्लत को देखते हुए सरकार ने हाल में इस इंजेक्शन के निर्यात पर रोक लगा दी थी, लेकिन इसका फायदा न तो निर्यातकों को और न ही देश को मिल रहा है। रेमडेसिविर निर्यातकों की उत्पादन क्षमता बेकार पड़ी है और वे अपने पास उपलब्ध इंजेक्शनों की बिक्री भी घरेलू बाजार में नहीं कर सकते। निर्यातक घरेलू बाजार के लिए यह इंजेक्शन तभी बना सकते हैं जब औषधि नियंत्रण विभाग की तरफ से उन्हें इसकी अस्थायी इजाजत मिले।
रेमडेसिविर का निर्यात करने वाली कंपनी क्वालिटी फार्मास्युटिकल्स के एमडी रमेश अरोड़ा ने बताया कि निर्यातकों को घरेलू बाजार में बेचने की अस्थायी मंजूरी मिलने से रोजाना 15 लाख वाइल्स रेमडेसिविर का अतिरिक्त उत्पादन हो सकता है और इसकी कीमत 1,500 रुपये प्रति वाइल तक आ सकती है। उन्होंने बताया कि अकेले उनकी क्षमता रोजाना 50 हजार वाइल्स बनाने की है।अरोड़ा ने यह भी बताया कि विदेश व्यापार निदेशालय की तरफ से उनकी मांग पर गौर करने का आश्वासन दिया गया है। इंजेक्शन बनाने के लिए उन्होंने कच्चे माल के आयात की भी इजाजत मांगी है।फिलहाल देश में सिर्फ सात कंपनियां रेमडेसिविर इंजेक्शन का उत्पादन कर रही हैं।