आवाज़ ए हिमाचल
स्वर्ण राणा, नूरपुर। एक तरफ़ जहां प्रदेश भाजपा केंद्र सरकार के नौ वर्षों के विकासकार्यों और योजनाओं के गुणगान करती नहीं थक रही वहीं दूसरी तरफ धरातल में गरीब जरुरतमंद परिवार इन योजनाओं से वंचित दिख रहे है। ऐसा ही एक मामला नूरपुर की पंचायत ठेहड़ के गांव खुवाडा के वार्ड नंबर 2 के रहने वाले महेंद्र दास सपुत्र मुंशी राम के रूप में देखने को मिला। महेंद्र दास दिमागी तौर पर अस्वस्थ हैं, महेंद्र की पत्नी चांद रानी ने अपनी व्यथा मीडिया को बताते कहा कि पति के साथ के साथ उनके तीन बच्चें है, परिवार का पालन -पोषण बड़ी मुश्किल के साथ हो रहा है। वो लोगों के घरों मे काम कर अपने बीमार पति व बच्चों का पालन -पोषण कर रही हैं। इनका एक स्लेटनुमा छोटा सा कमरा हैं जिसमें घर के पांचो सदस्य रहते हैं और उसी कमरे मे खाना बनाते हैं। आजकल बरसातों के दिनों मे महेंद्र के स्लेटनुमा मकान मे पानी टपकता रहता हैं, जिससे परिवार को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा हैं।जहां तक कि इस परिवार को पंचायत ने किसी भी ग़रीबी रेखा मे आने वाले परिवार से वंचित रखा है। चांद रानी द्वारा कई बार पंचायत मे जाकर अपनी गुहार लगा चुकी है पर अभी तक इस परिवार की कोई भी लाभ नही मिल पाया है। इससे सरकार के दावों की पोल स्वतः खुल जाती है। चांद रानी ने बताया चार वर्ष से उसका घर धराशाई हो चुका है और वो एक कमरे में जीवन यापन कर रहे है। पंचायत प्रधान को कई बार घर आकर उसकी स्थिति जाने की गुहार लगाई लेकिन प्रधान अभी समय नहीं निकाल पाई, ना ही उसे किसी आईआरडीपी में डाला गया है, जिससे उसे किसी योजना का लाभ मिल सके। बरसात के मौसम के चलते बारिश का पानी कमरे में घुस जाता है। पंचायत की तरफ से बस यही कहा जाता है कि जब ग्रांट आएंगी तब बना देंगे। उन्होंने सरकार व प्रशासन से गुहार लगाई है कि उसकी मदद की जाए। स्थानीय निवासी हंस राज ने कहा कि इस परिवार की समस्या बहुत ही ज्वलन्त है।उन्होंने कहा कि ऐसे परिवारों में इतनी सामर्थ्य नहीं होती कि वो किसी एसडीएम या विधायक से बात करे। ऐसे में पंचायत प्रतिनिधियों को ही गरीबों की आवाज बनना चाहिए।
वही पंचायत प्रधान इंदुबाला ने कहा कि महेंद्र सिंह के परिवार को हम अच्छे तरीके से जानते हैं। उनका मकान तीन-चार वर्ष पहले गिर गया था। हमने इनका नाम प्रधानमंत्री आवास योजना में डाला हुआ है। प्रधानमंत्री आवास योजना की किस्त हमारे पास आ गई है और बहुत शीघ्र इनका पहले मकान बनाया जाएगा। जब प्रधान से इस गरीब परिवार का नाम आईआरडीपी में ना डाले जाने का सवाल पूछा गया तो प्रधान ने पल्ला झाड़ते हुए कहा कि जब हमारी आगे अप्रैल में बैठक होगी तो हम किसी का नाम काट कर इनका नाम डाल देंगे।