आवाज़ ए हिमाचल
बी बी एन, शांति गौतम
1 फरवरी । फेडरेशन ऑफ़ इंडियन इंडस्ट्रीज ( ऍफ़ एफ आई ) व लघु उद्योग भारती के हिमाचल प्रदेश यूनिट के वरिष्ठ पदाधिकारी व क्योरटेक ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर सुमित सिंगला ने केंद्र सरकार द्वारा पेश किये केंद्रीय बजट की प्रशंशा करते हुए कहा कि कोविड महामारी के दौरान देश का प्रत्येक वर्ग प्रभावित हुआ जिसमें लघु, माध्यम उद्योग और फार्मा उद्योग को कड़ा संघर्ष करना पड़ा।केंद्रीय सरकार ने इस मुश्किल की घड़ी में इन उद्योगों को कर्ज़ प्रदान कर राहत प्रदान की यही कारन रहा कि यह उद्योग सेवायें प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्रीय सरकार की मदद के कारण ही संभव हुआ कि भारत का फार्मा उद्योग विश्व भर में तीसरे स्थान पर आ गया है।
सुमित सिंगला ने केंद्रीय बजट पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 2022 के यूनियन बजट में सरकार ने विदेशों पर भारतीय फार्मा उद्योग की 80 से 100 प्रतिशत निर्भरता को भांपते हुए एक हाई लेवल समिति का गठन कर उसके सुझावों को जिनमें क्रिटिकल बल्क ड्रग्स के देश के भीतर ही निर्माण को उत्साहित करने पर बल दिया गया है। इसके लिए बजट में प्रमोशन लिंक्ड इंसेंटिव सिस्टम को लागू किया गया है जिसके अधीन बायो फार्मास्युटिकल्स, ए पी आई, के एस एम ड्रग्स व इंटर मेडिएट ( तीन श्रेणियों) मेडिकल मशीनरी पर देश के भीतर निर्माण को प्रोत्साहित करने हेतु 3420 करोड़ की योजना रखी है जोकि 6 वर्षो के निर्माण में बढ़ोतरी को देखते हुए उद्योग को इंसेंटिव के रूप में प्रदान की जाएगी।
सुमित सिंगला ने कहा कि भारत सरकार की नीतियों के कारण भारतीय फार्मा उद्योग विश्व में तीसरे स्थान पर आ पहुंचा है जो कि 24.4 यू एस बिलियन डॉलर का स्तर पार कर चुका है जिसका विश्व भर के फार्मा उद्योग में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी हो गयी है। यही कारण है कि गत कोरोना काल में फार्मा सेक्टर निवेश 200 प्रतिशत भड़कर 4413 करोड़ का हो गया है जोकि 53 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है. केंद्रीय बजट में आम जनता के लिए दवाओं के रेट कम करने की योजना के संदर्भ में सुमित सिंगला ने कहा कि सरकार द्वारा नेशनल फार्मा प्राइस अथॉरिटी ( एन पी पी ए ) का गठन करना एक सराहनीय कदम है जिसमें 355 दवाओं और 886 फ़ॉर्मूलेशन्स जिनमें आवश्यक दवाएं शामिल हैं के रेट इस संस्था द्वारा निर्धारित किये जायेंगे जिनमें रएमडीसीवीर जैसे दवा, ऑक्सीजन भी शामिल है।
उन्होने कहा कि देश में फार्मा के कच्चे माल पर ब्लैक मार्केटिंग करने वाले लोगों पर भी कड़ी निगरानी और कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि फार्मा जगत को जी एस टी में भी राहत प्रदान की जानी चाहिए जिसमें फार्मा के कच्चे माल पर जहाँ 18 प्रतिशत जी एस टी लगता है वहीँ बने माल पर 12 प्रतिशत जी एस टी लगता है जिससे 6 प्रतिशत का फर्क रिफंड के समय उद्योग को वित्तीय रूप में प्रभाव पड़ता है जिससे एक सामान किये जाने से इस समस्या से राहत मिल सकेगी. उन्होंने कच्चे माल जिनमें फॉयल, पैकेजिंग , गत्ता, पी वी सी व् अलुमिनिमूम फॉयल पर 50 से 100 प्रतिशत की बढ़ोतरी भी दवाओं को महंगा करने का कारन बनती है. इसी प्रकार प्राइस कंट्रोल वाली दवाएं जैसे पेरासिटामोल व अज़िथ्रोमुसिन शामिल हैं के कच्चे माल के रेट भी कण्ट्रोल प्राइस पर किये जाएं।