केंद्रीय विश्वविद्यालय के स्थायी परिसर के मामले पर पुनर्विचार का अनुरोध

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आवाज़ ए हिमाचल 

विक्रम सिंह, धर्मशाला। कांगड़ा-चम्बा के लोकसभा सदस्य किशन कपूर ने  केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव से जिला कांगड़ा  के मुख्यालय धर्मशाला में स्थापित केन्द्रीय विश्वविद्यालय  के स्थाई परिसर के संबंध में लिए गए निर्णय पर पुनर्विचार करने का  अनुरोध किया है। उन्होंने कहा है पर्यावरणमंत्रालय द्वारा इस सम्बंध में लिया गया निर्णय असंगत  और अतार्किक है।
आज दूरभाष पर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री से बातचीत के  पश्चात  मंत्रालय को प्रेषित एक पत्र में सांसद ने मंत्रालय को अवगत किया कि हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला की स्थापना वर्ष 2009  में की गई थी । पूर्व में यह निर्णय लिया गया था कि इस  विश्वविद्यालय के सभी संकाय धर्मशाला में ही खोले जाएंगे लेकिन बाद में इसके संकाय को  तीन भागों में बाँट इसके परिसर देहरा एवं शाहपुर (कांगड़ा ) में भी खोले गए। कई वर्षों तक इस विश्वविद्यालय के स्थाई परिसर के मामले में अनिश्चितता बनी रही । उन्होंने कहा कि अब जब जिला प्रशासन द्वारा स्थाई परिसर के लिए भूमि आदि का चयन कर लिया गया तो पर्यावरण मंत्रालय द्वारा इस परिसर के  निर्माण के संबंध में यह आपत्ति दर्ज की गई है कि यहाँ बारिश अत्याधिक होती है और यह भूकंपीय क्षेत्र है अतः यहाँ इस  विश्वविद्यालय के स्थाई परिसर का निर्माण नहीं किया जा सकता है । यह आपत्ति असंगत और अतार्किक लगती है । उन्होंने कहा कि  धर्मशाला हिमाचल प्रदेश की कुल जनसंख्या के  अनुसार सबसे  बड़े  जिले का मुख्यालय है।  यहाँ राज्य और केंद्र सरकार के सभी महत्वपूर्ण कार्यालय स्थित हैं । इसके अतिरिक्त यहाँ सेना का कोर मुख्यालय और तिब्बत की निर्वासित सरकार की राजधानी भी इसी क्षेत्र में स्थित है ।

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