आवाज़-ए-हिमाचल
24 अक्टूबर : सात दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरे का शुभारंभ रविवार 25 अक्तूबर से होगा, लेकिन इस बार न तो दशहरे का विधिवत शुभारंभ और न समापन होगा। न उद्घाटन पर राज्यपाल आएंगे और न समापन पर मुख्यमंत्री पहुंचेंगे। लंका दहन के साथ दशहरे का समापन होगा। कोरोना महामारी के चलते इस बार मात्र 7 देवता और 200 लोग रघुनाथ की रथयात्रा में हिस्सा लेंगे।इस बार न भव्य शोभायात्राएं दिखेंगी और न ही 250-300 देवी-देवताओं का पारंपरिक मिलन होगा। जिस दशहरे में भगवान रघुनाथ, अन्य देवताओं के दर्शन और खरीदारी को हजारों लोग पहुंचते थे, इस बार वे भी नहीं होंगे। न मेला लगेगा और न सांस्कृतिक संध्याएं होंगी। देश-विदेश और बॉलीवुड के कलाकार भी इस बार नहीं बुलाए गए हैं। कुल्लू जिले में कोरोना के मामले रोज आने से दशहरे में किसी तरह की भीड़ न हो इसके लिए रथयात्रा में मात्र 200 लोग ही भाग ले सकेंगे। सात देवी-देवताओं के मात्र 15-15 लोग ही इसमें भाग लेंगे। रथयात्रा में उन्हीं कारकूनों और देवलुओं की अनुमति मिलेगी, जिनके पास कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट होगी। दशहरा उत्सव समिति के अध्यक्ष एवं शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि दशहरा में मात्र देव परंपराएं ही निभाई जाएंगी। किसी भी देवी-देवता को निमंत्रण नहीं दिया गया है। उत्सव की परंपरा निभाने जो देवरथ आएंगे, उन्हें भी दशहरा उत्सव समिति किसी तरह का कोई नजराना नहीं देगी।