आवाज़ ए हिमाचल
अभिषेक मिश्रा, बिलासपुर
15 मई।वर्ष 2050 तक दुनिया के 9 अरब लोगों (यूएन/एफएओ) को खिलाने के लिए 50 प्रतिशत अधिक भोजन और 70 प्रतिशत अधिक प्रोटीन का उत्पादन करने की आवश्यकता है,जोकि चिंता का विषय है।विश्व को कुपोषण के शिकार से बचाने के लिए स्पिरुलिना उत्तम आहार है तभी इसे भविष्य का सुपर फ़ूड कहा जाता है। इसी सुपर फ़ूड पर कहलूर बायोसाइंसेज एंड रिसर्च सेंटर और बाबा नाहर बायोटेक एंड रिसर्च, बिलासपुर मिलकर स्पिरुलिना कल्टीवेशन व इसके आधारित उत्पादों पर काम कर रहे है।इस बारे में जानकारी देते हुए कहलूर बायोसाइंसेज एंड रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिक डॉ अमित ठाकुर ने बताया कि स्पिरुलिना एक प्रसिद्ध फ़ूड सप्लीमेंट है जोकि ब्लू ग्रीन एलगी से तैयार किया जाता है।
उन्होंने बताया कि एक रिपोर्ट के अनुसार 2050 तक दुनिया के 9 अरब लोगों (यूएन/एफएओ) को खिलाने के लिए 50 प्रतिशत अधिक भोजन और 70 प्रतिशत अधिक प्रोटीन का उत्पादन करने की आवश्यकता है। पोषण की दृष्टि से सूखे स्पिरुलिना में प्रोटीन की मात्रा अच्छी होती है और यह फेनिलएलनिन का एक अच्छा स्रोत है, जो एक आवश्यक अमीनो एसिड है। स्पिरुलिना पाउडर में विटामिन बी, विटामिन ई और के की उच्च मात्रा पायी जाती है। आयरन की मात्रा होने की बजह से स्पिरुलिना एनीमिया और आयरन की कमी वालों के लिए सबसे अच्छे आहार पूरक में से एक है। स्पिरुलिना विटामिन बी,ए,सी,ई और के का बहुत ही अच्छा स्त्रोत है।
स्पिरुलिना आयरन, मैग्निशियम, मैंग्निज, पोटेशियम, सेलेनियम और जिंक जैसे कई मिनरल का भी एक अच्छा स्त्रोत है। ये सुपरफूड ओमेगा-3 फैटी एसिड, बीटा-कैरोटीन जैसे एंटी-ऑक्सीडेंट और अन्य फायदेमंद तत्वों का भी एक अच्छा स्त्रोत है। कैंसर को रोकने वाले गुणों से भरपूर फायकोसाईनिन भी इसमें भरपूर मात्रा में होता है I स्पिरुलिना प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है I स्पिरुलिना में फोलिक एसिड होता है, जो दिमाग के लिए पोष्टिक है।जिसकी वजह से ब्लड सेल्स का उत्पादन होता है और एनर्जी भी मिलती है।डॉ अमित ने बताया कि इसे कई तरह से आसानी के साथ इस्तेमाल कर सकते है जैसे कि चाय, स्मूदी, जूस और शेक्स में पाउडर और कुकीज में मिलाकर इसका इस्तेमाल किया जा सकता है ।
यदि आप रचनात्मक महसूस करते हैं तो आप अपनी खुद की रेसिपी भी बना सकते हैं। स्पिरुलिना की उच्च प्रोटीन सामग्री इसे कुपोषण से निपटने के लिए एक उपयुक्त आहार पूरक बनाती है I लंबी अवधि के अंतरिक्ष मिशन पर जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों के लिए, नासा ने पाया कि स्पिरुलिना मानव जाति के लिए सबसे शक्तिशाली, केंद्रित खाद्य पदार्थों में से एक था जो उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने और शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने के लिए उपलब्ध था । नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी को स्पिरुलिना में बहुत दिलचस्पी है और उन्होंने घोषणा की है कि वे अंतरिक्ष मिशन के दौरान इसकी खेती करना चाहते हैं। स्पिरुलिना को लेकर संयुक्त राष्ट्र पहले ही घोषणा कर चुका है। UN ने इसे 1974 में भविष्य का सर्वश्रेष्ठ आहार’ कहा था। इस पर कई शोध हो चुके हैं,जिनमें पाया गया है कि कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में ये वरदान साबित हो सकता है ।डॉक्टर अमित ठाकुर ने बताया कि केहलूर बायो साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर और बाबा नहर बायोटेक एंड रिसर्च, बिलासपुर मिलकर स्पिरुलिना कल्टीवेशन और इसके आधारित उत्पादों पर काम कर रहे है और जल्द ही उनकी नई रिसर्च लोगो के सामने होगी।