कीमोथैरेपी का प्रभाव कम करेगी मशरूम की नई किस्म, तीन साल बाद मिली सफलता

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आवाज़ ए हिमाचल 

सोलन। देशभर को मशरूम की नई किस्में देने वाले खुंब अनुसंधान निदेशालय (डीएमआर) सोलन ने अब मशरूम की एक ओर नई प्रजाति को उगाने में सफलता हासिल की है। आमतौर पर जंगलों में उगने वाले टर्की टेल मशरूम को अब लोग अपने घरों में भी उगा सकेंगे। तीन साल के गहन परीक्षण के बाद इस मशरूम को उगाने में वैज्ञानिकों को सफलता मिली है। खास बात यह है कि अनुसंधान में पाया गया है कि यह मशरूम औषधीय गुणों से भरपूर है।

कैंसर के दौरान कीमोथैरेपी करवाने वाला मरीज अगर इसका सेवन करता है तो वह अन्य मरीजों से जल्दी रिकवर हो जाएगा। वैज्ञानिकों का दावा है कि अभी तक यह मशरूम चीन और जापान में उगाई जा रही थी। मशरूम निदेशालय के वैज्ञानिक डॉ अनिल ने बताया कि टर्की टेल मशरूम को उगाने के लिए 20 से 22 डिग्री तक तापमान की जरूरत होती है। निदेशालय की ओर से इस मशरूम को उगाने के लिए किसानों को उपलब्ध करवाया जाएगा। जल्द यह आम लोगों को बाजार में मिल सकेगी। अभी तक हुए अनुसंधान में इसके उगने के बेहतर परिणाम सामने आए हैं।

चार तरह के कैंसर से लड़ने में सहायक

टर्की टेल मशरूम पर हुए शोध से पता चला है कि यह मशरूम विभिन्न प्रकार के कैंसर जैसे स्तन, फेफड़े, प्रोस्टेट और कोलोरेक्टल कैंसर को रोकने में सहायक है। खासतौर पर कैंसर मरीज की जब कीमोथैरेपी होती है तो वह शरीर को प्रभावित करती है। टर्की टेल मशरूम में एंटीबैक्टीरियल के साथ-साथ एंटीऑक्सीडेंट गुण भी हैं। इसके सेवन से मरीज को कीमोथैरेपी के कारण होने वाली कमजोरी दूर होगी और वह काफी जल्दी रिकवर होगा। इसके अलावा इसमें प्रोबायोटिक्स हैं जो पाचन को भी मजबूत करेगा। एचआईवी एड्स के रोगी के लिए भी इसे बेहतर माना जा रहा है।

 

टर्की टेल मशरूम को उगाने में निदेशालय ने सफलता हासिल की है। अभी यह मशरूम जंगलों में ही उग सकती थी। इसमें कई औषधीय गुण हैं, खासतौर पर जिन मरीजों की कैंसर में कीमोथैरेपी चल रही है, वह इसके सेवन से जल्दी रिकवर होंगे। जल्द ही किसानों को इसे उगाने की तकनीक बताई जाएगी। – डॉ. वीपी शर्मा, निदेशक खुंब निदेशालय सोलन

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