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देहरादून: किशोरी का अपहरण और दुष्कर्म करने के मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज अश्वनी गौड़ की अदालत ने दोषी को 20 साल की कैद व 50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना न देने पर छह महीने की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। अदालत ने अर्थदंड में से 30 हजार रुपये पीडि़ता को प्रतिकर के रूप में देने के भी आदेश दिए हैं।
शासकीय अधिवक्ता किशोर कुमार के अनुसार, पटेलनगर कोतवाली में क्षेत्र निवासी एक व्यक्ति ने 17 जून 2019 को तहरीर दी कि मूल रूप से थाना पूरनपुर, जिला पीलीभीत, उत्तर प्रदेश निवासी रेशू सिंह उनके पड़ोस में रहता था। बेहतर संबंध होने के कारण उसका उनके घर आना-जाना था। 10 फरवरी को वह उनकी अनुपस्थिति में वह घर में घुसा। तब उनकी 15 साल की बेटी घर में अकेली थी।
उसने बेटी के साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी। बेटी ने जब इसका विरोध किया तो रेशू सिंह ने उसके मुंह पर कपड़ा बांध दिया और दुष्कर्म किया। घटना के बाद किशोरी बेहोश हो गई। जब उसे होश आया तो आरोपित ने किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी दी। रात को किशोरी ने अपनी मां को आपबीती बताई।
शिकायतकर्ता ने बताया कि 17 जून को उसकी बेटी व मां ने घटनाक्रम के बारे में उन्हें बताया। पुलिस ने आरोपित रेशू सिंह के खिलाफ दुष्कर्म, पोक्सो एक्ट व जान से मारने की धमकी देने का मुकदमा दर्ज किया। पुलिस उसकी तलाश करती रही, मगर उसका पता नहीं चला। इसके दस दिन बाद 27 जून को वह किशोरी का अपहरण करके शाहजहांपुर (उत्तर प्रदेश) ले गया।
एक जुलाई 2019 को जब वह अपना सामान लेने के लिए किशोरी के साथ देहरादून आया तो पुलिस ने उसे आइएसबीटी पर दबोच लिया और किशोरी को मुक्त कराया। शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि पीड़ित पक्ष की ओर से 5 गवाह पेश किए। गवाह और साक्ष्यों के आधार पर अभियुक्त को दोषी मानते हुए कोर्ट ने सजा का एलान किया।