आवाज़ ए हिमाचल
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में विद्युत लाइन के करंट से मारे गए कारपेंटर (लकड़ी मिस्त्री) के परिवार को 24.30 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। साथ ही याचिका दायर करने के वर्ष 2014 से मुआवजा राशि पर छह फीसदी ब्याज भी देना होगा।
बारामुला के उड़ी में यह हादसा वर्ष 2013 में 11 हजार केवी लाइन गिरने से हुआ था। सरकार ने दलील दी थी कि हादसा मरने वाले व्यक्ति की लापरवाही से हुआ था। इस पर कोर्ट ने कहा कि हादसे रोकना सरकार की जिम्मेदारी है। निर्देश दिया कि भविष्य में ऐसी घटनाएं रोकने के लिए सरकार कुछ हटकर सोचे और समाधान सुनिश्चित करे।
न्यायाधीश मोक्षा खजूरिया काजमी ने कहा कि यह कहना कि हादसा चपेट में आने वाले की लापरवाही से हुआ है, सरकार को जवाबदेही से मुक्त नहीं कर सकता। नजीर अहमद खान 24 जुलाई 2013 को ट्रांसफार्मर से जुड़ी 11 हजार केवी लाइन के करंट से मारा गया था।
कोर्ट ने कहा कि बिजली तार का रखरखाव और इससे जन सुरक्षा का जिम्मा सरकार का है। सरकार को ही देखना है कि बिजली का तार टूटता है तो उसमें करंट न दौड़ता रहे, ताकि कोई इस तार से उलझता भी है तो हादसे से बचा जाए।
कोर्ट ने कहा कि पेशे से कारपेंटर 40 वर्षीय नजीर अहमद खान की रोजाना आय 500 रुपये थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार इस आय में 30 फीसदी वृद्धि को जोड़कर प्रति माह 19500 रुपये आय हुई। इसमें एक तिहाई को निजी खर्च को हटाकर आश्रितों को सालाना 1,56,000 रुपये का नुकसान हुआ।
मृतक की आयु को देखते हुए सालाना आय को 15 से गुना किया गया है। इसके अलावा आश्रितों के अन्य खर्चों को मिलाकर कुल मुआवजा राशि 24.30 लाख रुपये निर्धारित की गई है, जिस पर याचिका दायर करने के वर्ष 2014 से छह फीसदी ब्याज भी देना होगा।