आवाज़ ए हिमाचल
अभिषेक मिश्रा, बिलासपुर। नयनादेवी भाजपा ने पार्टी के प्रदेश मुख्य प्रवक्ता एवं राज्य आपदा प्रबंधन बोर्ड के उपाध्यक्ष रणधीर शर्मा के खिलाफ बयानबाजी को लेकर कांग्रेस विधायक रामलाल ठाकुर पर पलटवार किया है। भाजपा का कहना है कि रणधीर शर्मा को छुटभैया नेता कहने से ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस विधायक अपना मानसिक संतुलन खो बैठे हैं। हालांकि, चुनाव में हार-जीत चली रहती है, लेकिन यदि रामलाल ठाकुर की नजर में हार-जीत की प्रतिशतता से ही किसी नेता का जनाधार तय होता हो तो उनका स्ट्राइक रेट रणधीर शर्मा से कम है। रणधीर शर्मा की जीत का औसत 50, जबकि रामलाल ठाकुर का 45 फीसदी है। अब अपने मापदंडों के लिहाज से कांग्रेस विधायक खुद ही तय कर लें कि छुटभैया कौन हुआ।
शनिवार को यहां जारी बयान में नयनादेवी भाजपा के अप्पर मंडल अध्यक्ष लेखराम ठाकुर और लोअर मंडल अध्यक्ष बालकृष्ण ठाकुर ने कहा कि रामलाल ठाकुर को रणधीर शर्मा का फोबिया हो गया है। अपने मुंह मियां मिट्ठू की तरह वह अक्सर खुद को बड़ा और रणधीर शर्मा को छुटभैया नेता कहते रहते हैं। चुनाव में दो प्रतिद्वंद्वियों के बीच मुकाबले में एक की जीत और दूसरे की हार होती है। हालांकि यह कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन लगता है कि रामलाल ठाकुर की नजर में किसी नेता का जनाधार इन्हीं आंकड़ों से तय होता है। यदि ऐसा है तो कोई टिप्पणी करने से पहले वह आंकड़ों पर नजर डाल लें। रणधीर शर्मा ने 4 चुनाव लड़े हैं। इनमें से 2 में उन्हें जीत और 2 में हार मिली। रामलाल ठाकुर ने 11 चुनाव लड़े। इनमें से वह 5 बार जीते, जबकि 6 बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। बेतुकी बयानबाजी करने के बजाए उन्हें देख लेना चाहिए कि दोनों में से जीत की स्ट्राइक रेट किसकी बेहतर है।
लेखराम ठाकुर व बालकृष्ण ठाकुर ने कहा कि रामलाल ठाकुर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं, लेकिन बचकानी बयानबाजी से वह आए दिन हंसी का पात्र बनकर रह जाते हैं। वह प्रदेश सरकार के एक मंत्री पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर उनकी तुलना लालू यादव से कर रहे हैं। ऐसा करके उन्होंने स्वीकार कर लिया है कि लालू भ्रष्ट हैं, लेकिन वही लालू कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार के समय केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। भ्रष्टाचारियों की पार्टी के नेता को दूसरों पर भ्रष्टाचार के झूठे और मनगढ़ंत आरोप लगाने से परहेज करना चाहिए। रामलाल ठाकुर ने नयनादेवी में सफाई व्यवस्था चरमराने का आरोप भी लगाया है, लेकिन नयनादेवी नगर परिषद पर कांग्रेस का ही कब्जा है। जाहिर है कि वह एक तरह से कांग्रेस समर्थित नगर परिषद अध्यक्ष को निकम्मा कह रहे हैं। अपने इस बड़बोलेपन से वह अपनी और कांग्रेस की ही फजीहत करवा रहे हैं।