कांगड़ा चाय को प्रोमोट करने के लिए राज्य में टी-फेस्टिवल का किया जाएगा आयोजन

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आवाज ए हिमाचल 

24 जून। हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा चाय को प्रोमोट करने के लिए अब राज्य में टी-फेस्टिवल का आयोजन किया जाएगा। अब तक सरकारें कांगड़ा चाय को प्रोमोट करने के लिए कुछ विशेष नहीं कर सकी हैं, मगर फिर भी कांगड़ा चाय की अपनी पहचान है। इस पहचान को कायम रखने और इसके कारोबार को बढ़ाने के लिए अब प्रदेश सरकार कदम उठाएगी। योजना है कि आने वाले दिनों में यहां टी फेस्टिवल प्रदेश के प्रमुख पर्यटक स्थलों में किए जाएंगे, जिससे बाहर से आने वाले लोगों के बीच कांगड़ा चाय का प्रचार-प्रसार हो सके।

हिमाचल में ब्रिटिश काल से ही कांगड़ा घाटी में चाय की खेती होती आ रही है, मगर औद्योगिकीकरण के साथ जब से मनरेगा की शुरुआत हुई, तभी से चाय बागान पिछड़ते गए।आंकड़ों के मुताबिक हिमाचल में चार हजार एकड़ के करीब जमीन पर चाय की खेती होती आ रही थी, मगर पिछले दस वर्षों में यह आंकड़ा 2200 एकड़ रह गया है। लगभग 400 लोग चाय की खेती से संबंधित जमीन के मालिक हैं।

इनमें गिनती के ही बड़े बागान मालिक हैं, जबकि अन्य छोटे व मध्यम दर्जे के हैं। वर्तमान में भी मध्यम व बड़े दर्जे के चाय बागान मालिक ही इस व्यवसाय में लगे हैं, जबकि छोटे अपना कारोबार लगभग छोड़ चुके हैं। पालमपुर में सबसे ज्यादा टी गार्डन हैं। इनमें से छोटे बागान लगभग उजड़ चुके हैं। कारण बताए जा रहे हैं कि चाय की खेती के लिए मजदूरों का अकाल पड़ता जा रहा है। उधर, इस बारे में कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर का कहना है कि टी फेस्टिवल के अलावा जो कुछ भी किया जा सकेगा, वह करेंगे।

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