काँगड़ा: जसूर के दो भाइयों ने असिस्टेंट प्रोफसर के पद तक पहुंचकर मनवाया अपनी प्रतिभा का लोहा

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बेरोजगार थे तो गाँव के सभी बच्चों को पढ़ाते थे, सामाजिक कार्यों में भी अग्रणी

आवाज-ए-हिमाचल

 स्वर्ण राणा, नूरपुर। मन में कुछ कर गुजरने का जज्वा हो तो विपरीत परिस्थितियां उसमें कभी आड़े नहीं आती। जा हां कुछ ऐसा ही कर दिखाया है जिला कांगड़ा के जसूर के रहने वाले दो भाइयों ने। उन्होंने न केवल अपनी पढ़ाई पूरी की बल्कि असिस्टेंट प्रोफसर के पद तक पहुंच कर अपनी प्रतिभा का लोहा भी मनवाया है। उनकी इस उपलब्धि से क्षेत्र के युवा प्रभावित भी हो रहे हैं और सीख भी ले रहे हैं। हिमाचल प्रदेश के जिला चम्बा के भरमौर क्षेत्र के उल्लांसा पंचायत के सुलाखर गांव के मूल निवासी केवल राज सुपुत्र स्व. विधिया राम का परिवार पिछले कई वर्षों से कांगड़ा के जसूर क्षेत्र में रह रहा है।

पिछले कुछ वर्षों से इसी परिवार के सदस्य रामेश्वर शर्मा और दीपक कुमार द्वारा प्राप्त उपलब्धियों से यह क्षेत्र अनभिज्ञ रहा है। इन दोनों भाइयों ने अपने अध्ययन के दौरान कई अवार्ड और स्वर्णपदक प्राप्त किए हैं और राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाएं भी तीन-तीन बार उत्तीर्ण की हैं। नेट, जेआरएफ छात्रवृत्ति प्राप्त कर शोध के क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों से क्षेत्र का नाम रोशन किया है। आपको बता दें कि डॉ. रामेश्वर शर्मा इस समय ज्योतिष में पीएचडी कर चुके हैं और बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के ज्योतिष विभाग में पूरे मनोयोग से अपनी सेवाएं दे रहे हैं और डॉ. दीपक कुमार केमिस्ट्री (इनोर्गैनिक) में एमएससी और एमफिल कर शोध के क्षेत्र में प्रयासरत हैं और बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर दिल्ली यूनिवर्सिटी के किरोडीमल कॉलेज में हाल ही में नियुक्त हुए हैं।

इनके परिवारजनों का कहना है कि दोनों भाई डॉ. रामेश्वर शर्मा और डॉ. दीपक शर्मा पढ़ाई में आरम्भ से ही कुशाग्र बुद्धि के रहे हैं जब वे दोनों बेरोजगार थे तो गाँव के सभी बच्चों को एकत्र कर पढ़ाते थे वे दोनों मात्र पढ़ाई में ही नहीं बल्कि सामाजिक कार्यों में भी इनका बहुत योगदान रहा है। दोनों भाइयों ने समाजसेवी संस्थाओं से जुड़ कर समाजिक समस्याओं, गरीबी, भूख, अनपढ़ता इत्यादि को महसूस किया है, इसलिए उनका कहना है कि यदि सामर्थ्य हो तो  निसंकोच ही समाज में जरूरतमंद लोगो कि मदद करते रहना चाहिए। रामेश्वर शर्मा और दीपक शर्मा ने अपनी पूरी सफलता का श्रेय अपने दादा-दादी के संघर्ष, माता-पिता और गुरुजनों के आशीर्वाद को ही दिया है।

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