एग्रो इंडस्ट्रीज व वित्त निगम होंगे मर्ज, हिमाचल के घाटे वाले बोर्ड-निगमों पर बड़ा फैसला लेंगे मुख्यमंत्री

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आवाज़ ए हिमाचल  

शिमला। फिजूलखर्ची रोकने के लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार बोर्ड और निगमों पर बड़ा फैसला लेने जा रही है। मुख्यमंत्री ने शिमला से जाने से पहले मुख्य सचिव को घाटे वाले बोर्ड और निगमों को मर्ज करने पर प्रस्ताव तैयार करने के लिए कहा था। इसके बाद मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने अपने प्रशासनिक सचिवों के साथ एक बड़ी बैठक की थी। इसके बाद पहले चरण में दो निगमों को बंद करने की फाइल चल पड़ी है। इन्हें मर्ज किया जाएगा। बागबानी विभाग के तहत चल रहे हिमाचल प्रदेश एग्रो इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन और उद्योग विभाग के तहत चल रहे हिमाचल प्रदेश वित्तीय निगम को समेटा जा रहा है। एग्रो इंडस्ट्रीज को एचपीएमसी में और वित्तीय निगम को एचपीएसआईडीसी में शामिल किया जा सकता है। इस बारे में फाइल तैयार होकर विधि विभाग को चली गई है। वित्त निगम एक विकासात्मक बैंकिंग संस्था संस्था है, जिसका उद्देश्य हिमाचल में लघु और मध्यम उद्योगों को दीर्घकालीन लोन प्रदान करना था।

यह निगम सहकारी समितियों या कंपनियों को 20 करोड़ तक लोन दे सकता है और 54 साल पहले इसका गठन हुआ था। अब तक निगम ने करीब 4600 उद्यमियों को 535 करोड़ का लोन दिया है। दूसरी तरफ बागबानी विभाग के तहत चल रहे हिमाचल प्रदेश एग्रो इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन की हालत यह है कि यह वर्ष 2002 से ही घाटे में है। एग्रो इंडस्ट्रीज कभी सेब के लिए पैकिंग मैटेरियल बनाता था, लेकिन अब सेब कार्टन के लिए पेपर का इस्तेमाल होने से निगम का काम बहुत प्रभावित हुआ है। इस निगम को भी एचपीएमसी में मर्ज किया जा सकता है। हालांकि एचपीएमसी भी करीब 86 करोड के घाटे में है, लेकिन सेब बागबानी के हिसाब से एचपीएमसी के पास काम बहुत है। यदि सरकारी आंकड़ों को भी देखें तो हिमाचल प्रदेश एग्रो इंडस्ट्रीज का कुल घाटा 13.50 करोड़ था। दूसरी तरफ हिमाचल प्रदेश वित्तीय निगम अभी 176 करोड़ के घाटे में है। ये आंकड़े 31 मार्च, 2021 के हैं। एग्रो इंडस्ट्रीज में अब तक सरकार ने करीब 10 करोड़ और वित्तीय निगम में करीब 22 करोड़ का पूंजी निवेश किया है। हालांकि दोनों ही निगमों में कर्मचारियों की संख्या कम है।

4400 करोड़ डुबो चुके हैं बोर्ड-निगम

हिमाचल सरकार में कुल 23 सार्वजनिक उपक्रम यानी बोर्ड और निगम हैं। इनमें से सिर्फ 10 बोर्ड या निगम फायदे में हैं, लेकिन इनका फायदा बहुत कम है। जबकि शेष बचे 13 बोर्ड या निगम भारी घाटे में हैं। मार्च 2021 तक यह कुल घाटा 4400 करोड़ का था। इनमें से दो सबसे बड़े बोर्ड और निगम बिजली बोर्ड तथा एचआरटीसी हैं। बिजली बोर्ड का घाटा इस अवधि में 1705 करोड़, जबकि एचआरटीसी का घाटा इसी अवधि में 1574 करोड़ था। इन सार्वजनिक उपक्रमों में राज्य सरकार अब तक करीब 3200 करोड़ पूंजी निवेश कर चुकी है। वर्तमान में करीब 29000 कर्मचारी इन बोर्ड निगमों में हैं और कई घाटे वाले बोर्ड निगम ऐसे हैं, जिन्हें बंद भी नहीं किया जा सकता।

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