एक बीघा योजना की वास्तविकता क्या है- राम लाल ठाकुर

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आवाज़ ए हिमाचल 
                        अभिषेक मिश्रा बिलासपुर
03 दिसंबर। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य, पूर्व मंत्री व विधायक श्री नयना देवी जी विधानसभा क्षेत्र राम लाल ठाकुर ने प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए प्रश्न खड़ा किया है कि गत वर्ष जून महीने में शुरू की ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की एक बीघा ज़मीन योजना की सच्चाई क्या है। देश के प्रधानमंत्री की तरह ही प्रदेश सरकार भी हवा हवाई योजनायें लांच करके सिर्फ जन संवेदनाएं लेकर अपने को लोकलुभावन बनाने में लगी है जबकि धरातल की सच्चाई कुछ अलग है। आदरणीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा के मुताबिक इस योजना 5,000 स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से लगभग 1.50 लाख महिलाएं शामिल होनी थी। इस योजना के तहत प्रत्येक लाभार्थी महिला को मनरेगा के तहत रोजगार पाने का अधिकार निश्चित हुआ था इसके अलावा महिलाओं के कौशल को बढ़ाने के लिए उन्हें प्रशिक्षण दिया जाएगा तथा पहाड़ी भूमि को समतल करने, पानी को चैनेलाइज करने,
वर्मी कम्पोस्ट पिट स्थापित करने और पौधे और बीज खरीदने के लिए अनुदान दिया जाना तय था। राम लाल ठाकुर ने सवाल खड़ा किया है कि यदि यह योजना विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने हेतु बनाई गई थी तो इसके परिणाम आज तक सामने क्यों नहीं आ पाए हैं। सरकार बताए कि किस उद्देश्य के साथ सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों के पुनरूत्थान के लिए ‘‘मुख्यमंत्री एक बीघा योजना’’ आरम्भ की थी, जिसके अनुसार शुरूआती दौर में योजना से जुड़ेंगे 5000 परिवार को जोड़ा जाना तय था और संबंधित पंचायतें, प्रस्ताव प्राप्त करने के बाद उनको मनरेगा शैल्फ में शामिल करने के लिए खंड विकास अधिकारी को भेजना तय था। इस योजना का उद्देश्य मनरेगा और स्वच्छ भारत मिशन का अभिसरण कर ग्रामीणों को किचन गार्डनिंग के लिए प्रोत्साहित करना था। स्वयं सहायता समूहों को इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया जाना तय था।
सभी स्वयं सहायता समूह जो जाॅब कार्ड धारक उपलब्ध करवाने तय थे, इस योजना के तहत एक लाख रुपए का लाभ प्राप्त करना तय था। इस योजना के तहत लगभग 1.50 लाख महिला सदस्य लाभान्वित । और पात्र महिलाएं इस योजना के तहत पात्र महिलाएं 40,000 रुपये का अनुदान पाने की हकदार होनी तय थी और इसी कंकरीट वर्मी कम्पोस्ट पिट बनाने योजना के तहत के 10,000 रुपये तक अनुदान दिया जाना तय था लेकिन धरातल पर कुछ दिख ही नही रहा है। राम लाल ठाकुर ने कहा कि अब प्रश्न उठता है कि क्या यह योजना धरातल पर है कि नहीं अगर है तो क्यों नही इस योजना का ग्रामीण क्षेत्रो में पता चल पाया, क्यों विभाग और इस योजना को धरातल पर उतार पाया। वास्तविकताओं से परे इन योजनाओं का क्रियान्वयन ठीक से नहीं हो पा रहा है तो प्रदेश सरकार मुफ्त का यश लूटने के लिए क्यों ऐसी योजनायें लांच कर रही है, जिसका फायदा ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं मिल पा रहा है।

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