एक देश एक चुनाव के समर्थन में आए शांता कुमार,कहा पीएम का यह सुझाब जरूरी व लाभदायक है

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आवाज़-ए-हिमाचल 
           ……….ब्यूरो,पालमपुर
27 नवम्बर : भारतीय जनता पार्टी के नेता एवं हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा है कि प्रधानमंत्री के एक देश एक चुनाव का सुझाव अत्यन्त महत्वपूर्ण ही नहीं भारत की आज स्थिति में अत्यन्त आवश्यक और लाभदायक  भी है। उन्होंने सभी राजनैतिक दलों से इस सुझाव को अतिशीघ्र स्वीकार करने की अपील की है।
उन्होंने कहा कि सबसे अधिक लाभ धन की बचत है। विधान सभा और लोक सभा का चुनाव पूरे देश में एक बार होने से सरकार को अरबों रूपयों की बचत होगी। भारत में विधान सभा और लोकसभा के चुनाव ही अलग अलग नहीं होते बल्कि अलग -अलग समय  पर विधान सभाओं के चुनाव या उप चुनाव भी होते रहते हैं। इन चुनावों पर इतना अधिक खर्च होता है जो भारत के विकास की दृष्टि से एक बहुत बड़ा अपराध है। उन्होने कहा कि कोरोना संकट के कारण देश भयंकर आर्थिक संकट में है। इस दृष्टि से यह निर्णय करके करोड़ों/अरबों रूपये बचाना समय की सबसे बड़ी मांग को पूरा करना होगा।
शांता कुमार ने कहा कि आज भारत में पूरे 5 साल राष्ट्रीय राजनीती चुनाव के मूड में ही रहती है। विकास का मूड बहुत कम बनता है। अभी बिहार का चुनाव समाप्त हुआ और उसके बाद बंगाल के चुनाव  की तैयारी शुरू हो गई। सभी दलों के राष्ट्रीय नेता इस प्रकार पूरे 5 साल चुनाव में ही उलझे रहते हैं।उन्होने कहा कि चुनाव में सरकारों का धन तो खर्च होता ही है- राजनैतिक दल और उम्मीदवार भी करोड़ों-अरबों खर्च करते हें। यह एक कड़बी सच्चाई है कि चुनाव में सभी पार्टियां काले धन का उपयोग भी करती हैं,जो एक बहुत बड़ा कलंक है।
यदि 5 साल में सारे चुनाव एक बार हो जायें तो 5 साल में देश एक बार ही कलंकित होगा। आज की परिस्थिति में पूरे 5 साल कहीं न कहीं चुनाव होते रहते हैं और काला धन खर्च होता है जिससे देश बार बार कलंकित होता रहता है।उन्होने कहा कि ग्लोवल हंगर इन्डैक्स की रिपोर्ट के अनुसार जिस देश में 16 करोड़ लोग रात को भूखे पेट सोने को मजबूर हैं उस देश में बार बार के चुनाव पर अरबों रूपये खर्च करना एक मूर्खता भी है और अपराध भी है।शांता कुमार ने कहा कि श्री अटल जी के समय में इस विषय पर गंभीरता से बिचार हुआ था।मंत्रिमंडल के कुछ सदस्यों की कई बार प्रधानमंत्री से अनौपचारिक  बातचीत भी हुई थी। अटल जी ने एक बार  विपक्षी दलों के नेताओं से चर्चा भी की थी।उन्होंने कहा कि उन्हें याद है कि एक बार जब उन्होंने और शेखावत ने इस योजना का जोरदार समर्थन किया था तो बैठक में एक ही बात पर विरोध हुआ था कि यदि किसी
प्रदेश में अविश्वास प्रस्ताव लाकर सरकार गिर जाए तो क्या किया जा सकता है। इस पर शेखावत जी ने सुझाव दिया था कि अशविश्वास प्रस्ताव लाने बालों को उसके साथ ही वैकल्पिक सरकार का विश्वास प्रस्ताव भी लाना होगा। यदि केवल अशविश्वास प्रस्ताव पास हो जाए और वैकल्पिक सरकार न बन सके तो प्रावधान यह हो कि विधान सभा के वाकि समय के लिए विधान सभा भंग कर दी जाएगी और राष्ट्रपति शासन लागू होगा। अटल जी को सुझाव बहुत पसन्द आया था। सब की राय बनी कि इससे कोई विधायक नहीं चाहेगा कि विधान सभा भंग हो और वे वेकार हो जायें। इसी कारण राजनैतिक अस्थिरता समाप्त होगी, दल बदल नहीं होगा और स्थिरता भी आएगी। उन्होने कहा कि गरीबी और वेरोजगारी से जूझते भारत जैसे देश में प्रधानमंत्री का यह सुझाव अतिशीघ्र स्वीकार किया जाना चाहिए।कश्मीर में धारा 370 समाप्त करने के बरावर ही यह करना भी राष्ट्रीय महत्व का कार्य होगा।

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