ऊर्जा नीति बदलेगी हिमाचल सरकार, सीएम ने अधिकारियों को 10 दिन में रिपोर्ट बनाने के दिए आदेश

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आवाज़ ए हिमाचल 

शिमला। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अधिकारियों को वर्तमान ऊर्जा नीति में आवश्यक बदलाव लाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही उन्होंने पांच मेगावाट क्षमता तक की सभी सौर ऊर्जा परियोजनाएं आबंटन के लिए खुली रखने की बात कही है। उन्होंने कहा कि अब राज्य सरकार सौर ऊर्जा संयंत्रों में निवेश करेगी। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने ऊर्जा क्षेत्र और हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड से संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि एचपीपीसीएल को सौर परियोजनाओं की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाने के लिए 10 दिन के भीतर सलाहकार नियुक्त करें और एक माह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करे, ताकि इन सौर परियोजनाओं का कार्य आरंभ किया जा सके। ऊर्जा विभाग और एचपीपीसीएल अन्य राज्यों जैसे राजस्थान में भूमि चिन्हित करेंगे, जहां मेगा सौर संयंत्र स्थापित करने के लिए रियायती दरों पर भूमि उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि कहा कि प्रदेश सरकार ने जलविद्युत, हाइड्रोजन और सौर ऊर्जा का दोहन करने सहित हिमाचल को वर्ष 2025 तक देश का पहला हरित राज्य बनाने का लक्ष्य रखा है।

उन्होंने हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड, हिमऊर्जा, हिमाचल प्रदेश ऊर्जा निगम लिमिटेड और ऊर्जा विभाग के अधिकारियों को इस दिशा में कार्य करने और आवश्यकतानुसार नीति में बदलाव करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2023-2024 की अवधि के दौरान प्रदेश भर में 500 मेगावाट क्षमता की सौर परियोजनाएं स्थापित की जाएंगी। इसमें कम से कम 200 मेगावाट क्षमता की परियोजनाएं हिमाचल प्रदेश ऊर्जा निगम लिमिटेड (एचपीपीसीएल) स्थापित करेगा। इसके दृष्टिगत 70 मेगावाट क्षमता के लिए भूमि चिन्हित की जा चुकी है और अन्य स्थलों को भी शीघ्र ही अंतिम रूप दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि 150 मेगावाट क्षमता की सौर परियोजनाएं निजी भागीदारी से हिमऊर्जा में स्थापित की जाएंगी और इन परियोजनाओं के आबंटन में हिमाचलियों को प्राथमिकता दी जाएगी। इन परियोजनओं की क्षमता की श्रेणी 250 किलोवाट से एक मेगावाट होगी। उन्होंने हिमऊर्जा को एक ऐसा तंत्र विकसित करने के निर्देश दिए, इसमें तीन मेगावाट क्षमता से अधिक की सौर परियोजनाओं में राज्य को रॉयल्टी प्राप्त होने से वित्तीय लाभ मिल सकें। उन्होंने कहा कि यदि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को सौर परियोजनाएं स्थापित करने के लिए भूमि प्रदान की जाती है, तो इसके लिए उनसे भूमि की हिस्सेदारी के रूप में कुछ प्रतिशत राशि भी ली जानी चाहिए।

ऊर्जा परियोजनाओं के काम में तेजी लाने को कहा

मुख्यमंत्री ने हिमऊर्जा को पांच मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजना में राज्य के लिए पांच प्रतिशत प्रीमियम और पांच मेगावाट क्षमता से अधिक की सौर ऊर्जा परियोजनओं में 10 प्रतिशत हिस्सा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने हिमाचल प्रदेश ऊर्जा निगम लिमिटेड को काशंग द्वितीय और तृतीय, शांग-टांग और कड़छम में निर्माणाधीन ऊर्जा परियोजनाओं के कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए, ताकि प्रदेश के लोग इनसे शीघ्र लाभान्वित हो सकें। उन्होंने प्रत्येक परियोजना के लिए समयावधि निश्चित करने और इन सभी परियोजनाओं को वर्ष 2025 तक पूर्ण करने के निर्देश दिए। बैठक में मुख्यमंत्री ने 660 मेगावाट क्षमता की किशाऊ बांध परियोजना की प्रगति की समीक्षा भी की, जिसमें जल घटक भारत सरकार और राज्य सरकार द्वारा 90-10 अनुपात में वित्तपोषित तथा ऊर्जा घटक हिमाचल और उत्तराखंड राज्य ने 50-50 प्रतिशत के अनुपात में साझा किया जाएगा।

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